गफलत, गड़बडिय़ां और दुरुपयोग
बोर्ड को मिली शिकायतों में सामने आया कि कई स्कूल इसका दुरुपयोग कर रहे थे। कई स्कूल कम स्तर वाले बच्चों को भी बेहतर सीजीपीए देकर उन्हें आगे तो बढ़ा देते थे, लेकिन इसका असर आगे की कक्षाओं पर पड़ रहा था। हालात ये हो गए थे कि जो बच्चे इस तरह से आगे जाते उन्हें अन्य बड़ी कक्षाओं में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा था। उन्हें लाभ की बजाय नुकसान होने लगा।
ये भी रहे कारण
-कई स्कूलों में शिक्षकों के बीच में अंकों को लेकर टकराहट की स्थिति बनने लगी।
– कई स्कूल इस प्रणाली को बेहतर तरीके से समझ नहीं सके, ऐसे में कई प्रकार की गलतियां होने लगी थी।
– कई अभिभावकों ने स्कूलों के सामने इस परीक्षा पर आपत्ति जताई थी, केन्द्र को भी पत्र प्रेषित किए थे।
वैसे पुरानी प्रक्रिया अच्छी थी। सीसीई पैटर्न पर होने वाली इस परीक्षा में स्कूलों स्तर पर कई समस्याएं उपजने से परेशानी बढऩे लगी थी। अब ‘बेक टु बेसिक’ पर लौट रहे है। इस बार केवल बोर्ड की परीक्षा तीन स्तर पर पिरियोडिक हो रही है। वर्ष 2009-10 में डॉ यशपाल इस पैटर्न को लाए थे, लेकिन इसमें नियमानुसार मूल्यांकन नहीं हो पाया।
मंजीतसिंह, प्रिंसिपल, सीपीएस, उदयपुर
डॉ शैलेन्द्र सोमानी, निदेशक एमडीएस, उदयपुर
आरके बालानी, सेक्शन प्रभारी परीक्षा (बारहवीं) सीबीएसई अजमेर रीजन