प्रतिष्ठा महोत्सव के मुख्य संयोजक कुलदीप नाहर ने बताया कि मेवाड़ की पावन धरा एवं झीलों की नगरी के समीपस्थ थूर गांव में जैन धर्म के तेरहवें तीर्थंकर के नवनिर्मित जिनालय में बसंत पंचमी पर प्रात: शुभ वेला में आचार्य पद्म भूषण सुरिश्वरजी, आचार्य निपूणरत्न सुरिश्वरजी आदि ठाणा की निश्रा में प्रतिष्ठा महोत्सव प्रारंभ हुआ। संगीतकार एवं विधिकारक नागेश्वर भाई रियावनवाला ने मंत्रोच्चार एवं पूर्ण आहूतियों से भगवान की प्रतिष्ठा मुख्य लाभार्थी एवं ट्रस्ट अध्यक्ष सिद्धार्थ चौधरी, सुरभी चौधरी, शशि चौधरी परिवार के हाथों कराई।
चेन्नई से आए शासनरत्न मनोज हरण भी मौजूद थे। प्रात: शुभ मूहूर्त में भगवान की मंगल प्रतिष्ठा कर प्रतिमा के चारों ओर तथा मंदिर के गर्भगृह में कुमकुम के छापे लगाए गए। विधिकारक द्वारा लाभार्थी परिवार के हाथों, माणकस्तंभ रोपण, तोरण बांधना, कलश स्थापना एवं ध्वजारोहण हुआ। आचार्यश्री ने प्रतिष्ठा महोत्सव पर विस्तार से प्रवचन दिया। ट्रस्ट के सहसचिव अनीश कोठारी ने बताया कि प्रवचन के दौरान विशिष्टजनों एवं प्रतिष्ठा महोत्सव में सहयोग करने वालों का ट्रस्ट की ओर से बहुमान किया गया। दोपहर को श्री विश्वशांतिकर अष्टोत्तरी एवं शांतिस्नात्र महापूजन हुआ। इस दौरान भगवान की विशेष अंगरचना की गई वहीं कुमारपाल राजा द्वारा 108 दीपक से मंगल आरती गई।
चेन्नई से आए शासनरत्न मनोज हरण भी मौजूद थे। प्रात: शुभ मूहूर्त में भगवान की मंगल प्रतिष्ठा कर प्रतिमा के चारों ओर तथा मंदिर के गर्भगृह में कुमकुम के छापे लगाए गए। विधिकारक द्वारा लाभार्थी परिवार के हाथों, माणकस्तंभ रोपण, तोरण बांधना, कलश स्थापना एवं ध्वजारोहण हुआ। आचार्यश्री ने प्रतिष्ठा महोत्सव पर विस्तार से प्रवचन दिया। ट्रस्ट के सहसचिव अनीश कोठारी ने बताया कि प्रवचन के दौरान विशिष्टजनों एवं प्रतिष्ठा महोत्सव में सहयोग करने वालों का ट्रस्ट की ओर से बहुमान किया गया। दोपहर को श्री विश्वशांतिकर अष्टोत्तरी एवं शांतिस्नात्र महापूजन हुआ। इस दौरान भगवान की विशेष अंगरचना की गई वहीं कुमारपाल राजा द्वारा 108 दीपक से मंगल आरती गई।