सेहत संपत्ति, संतोष खजाना
हुमड़ भवन में विशेष विधान के बीच मुनि सुमित्र सागर ने कहा कि भगवान के चरणों में पति, पत्नी, बेटा, बेटी या धन दौलत कभी मत मांगना। बल्कि मांगना तो बस इतना की भगवान अंतिम सांस तक आपका नाम लेता रहूं। सबके काम आता रहूं। संसार में सेहत सबसे बड़ी सम्पत्ति है और सन्तोष सबसे बड़ा खजाना है। रास्ते में कंकड़ ही कंकड़ हो तो जूता पहन कर चलना अच्छा है। एक अच्छे जूते के अन्दर एक भी कंकड़ हो तो अच्छी सड़़क पर कुछ कदम तक चलना भी मुश्किल हो जाता है।
हुमड़ भवन में विशेष विधान के बीच मुनि सुमित्र सागर ने कहा कि भगवान के चरणों में पति, पत्नी, बेटा, बेटी या धन दौलत कभी मत मांगना। बल्कि मांगना तो बस इतना की भगवान अंतिम सांस तक आपका नाम लेता रहूं। सबके काम आता रहूं। संसार में सेहत सबसे बड़ी सम्पत्ति है और सन्तोष सबसे बड़ा खजाना है। रास्ते में कंकड़ ही कंकड़ हो तो जूता पहन कर चलना अच्छा है। एक अच्छे जूते के अन्दर एक भी कंकड़ हो तो अच्छी सड़़क पर कुछ कदम तक चलना भी मुश्किल हो जाता है।
नाकोड़ा तीर्थ में 23 को चूरमा भोग
नाकोड़ा भैरव भक्ति मण्डल की गुरुवार को हुई बैठक में नाकोड़ा तीर्थ पर 23 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा पर चूरमे का भोग लगाने पर सहमति बनी। अध्यक्ष मंडल सचिव ललित लोढ़ा ने बताया कि कार्यक्रम में उदयपुर ५ सौ लोगों को नाकोड़ा तीर्थ ले जाया जाएगा। वहां वरघोड़ा, ५६ भोग, रात्रिकालीन भक्ति संध्या एवं भोजन प्रसादी का आयोजन होगा।
नाकोड़ा भैरव भक्ति मण्डल की गुरुवार को हुई बैठक में नाकोड़ा तीर्थ पर 23 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा पर चूरमे का भोग लगाने पर सहमति बनी। अध्यक्ष मंडल सचिव ललित लोढ़ा ने बताया कि कार्यक्रम में उदयपुर ५ सौ लोगों को नाकोड़ा तीर्थ ले जाया जाएगा। वहां वरघोड़ा, ५६ भोग, रात्रिकालीन भक्ति संध्या एवं भोजन प्रसादी का आयोजन होगा।
आलस्य है बाधक
आयड़ वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में ऋषभ भवन में चातुर्मास कर रहे मुनि प्रेमचंद ने धर्मसभा में कहा कि आलस्य व्यक्ति की सफलता के मार्ग में सबसे बड़ा बाधक है। आलसी व्यक्ति किसी भी कार्य को सही ढंग से नहीं करता। इससे उसे असफलता सामना करना पड़ता है। आलस्य का त्याग कर ही व्यक्ति को सफलता मिल सकती है।
आयड़ वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में ऋषभ भवन में चातुर्मास कर रहे मुनि प्रेमचंद ने धर्मसभा में कहा कि आलस्य व्यक्ति की सफलता के मार्ग में सबसे बड़ा बाधक है। आलसी व्यक्ति किसी भी कार्य को सही ढंग से नहीं करता। इससे उसे असफलता सामना करना पड़ता है। आलस्य का त्याग कर ही व्यक्ति को सफलता मिल सकती है।