उदयपुर

मिलीभगत नहीं तो और क्या ? कार्रवाई शून्य, गेट व कार्डियोलॉजी के बाहर खड़ी रही निजी एम्बुलेंस

प्री-पेड सेवा की व्यवस्था, फिर निजी एम्बुलेंस को कौन दे रहा अस्पताल में शह, मरीज की जान जोखिम में, कंडम गाडिय़ों से करवा रहे निजी संचालक सफर

उदयपुरDec 05, 2024 / 12:49 am

अभिषेक श्रीवास्तव

अस्पताल गेट के बाहर खड़ी एम्बुलेंस 

उदयपुर. महाराणा भूपाल चिकित्सालय में निजी एम्बुलेंस संचालकों की दादागिरी का मामला राजस्थान पत्रिका में उठाने के बाद खलबली मची लेकिन कार्रवाई शून्य रही। 20 से ज्यादा कंडम निजी एम्बुलेंस अस्पताल परिसर से बाहर निकली, लेकिन सभी गेट के पास ही सडक़ पर खड़ी हो गई। कुछ तो कार्डियोलॉजी के बाहर ही रौब झाड़ते हुए खड़े रहे। अब सवाल उठता है कि अस्पताल में दो माह से प्री-पेड एम्बुलेंस सेवा चल रही है तो किसकी शह पर इन निजी एम्बुलेंस की अस्पताल में एन्ट्री हो रही है? इधर, पत्रिका टीम ने अस्पताल में चल रही इस प्री-पेड सेवा का खाता खंगाला तो पता चला कि दो माह यानी 60 दिन में वहां 27 एम्बुलेंस से सिर्फ 51 फेरे किए, बाकी सभी मरीजों पर निजी एम्बुलेंस संचालक हावी रहे। गौरतलब है कि एमबी चिकित्सालय में प्रतिदिन एक सौ से ज्यादा बाहरी मरीज एम्बुलेंस सेवा का उपयोग करते हैं।
राजस्थान पत्रिका के 3 दिसम्बर के अंक में एमबी अस्पताल में निजी एम्बुलेंस संचालकों की दादागिरी…मिलीभगत से चल रही अधिकांश कंडम शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी। खबर प्रकाशित होने के बाद अधिकांश एम्बुलेंस अस्पताल परिसर से बाहर निकलकर चेतक वाले मार्ग पर गेट के पास ही खड़ी हो गई। वहीं दो एम्बुलेंस संचालक तो पूरी दादागिरी दिखाते हुए दूसरे दिन भी कार्डियोलॉजी के बाहर ही खड़े रहे।

एक बार जांच हुई तो खुल जाएगी कंडम गाडिय़ों की पोल

निजी एम्बुलेंस अधिकांश कंडम स्थिति में है। चार एम्बुलेंस पर गुजरात के नम्बर है, यहां रजिस्टे्रशन नहीं होने पर उन पर नीली बत्ती लगाकर एम्बुलेंस बना दिया गया। अन्य एम्बुलेंस वाली गाडिय़ां 10 से 15 साल अवधि पार वाली गाडिय़ां है। इन गाडिय़ों की कभी भी चैकिंग नहीं होने से हर कोई व्यक्ति कंडम गाडिय़ों को एम्बुलेंस बनाकर मरीजोंं की जान को जोखिम में डाल रहा है। अभियान चलाकर पुलिस व परिवहन विभाग इन गाडिय़ों की जांच करेगा तो निश्चित रूप से अधिकांश गाडिय़ां बाहर हो जाएगी।

पार्किंग व्यवस्था भी होगी व्यवस्थित

अभी निजी एम्बुलेंस संचालकों का पूरा अस्पताल में कब्जा है, इनकी गाडिय़ां पूरे परिसर में खड़ी रहती है, इसके कारण पार्किंग व्यवस्था बिगड़ती है। अस्पताल प्रबंधन इन्हें एक जगह पर व्यवस्थित खड़ी करे तो निश्चित रूप से पार्किंग के लिए काफी जगह मिलेगी और व्यवस्था सुधरेगी।

प्री-पेड तक कम पहुंच रहे मरीज के परिजन

अस्पताल परिसर में प्री-पेड एम्बुलेंस की सेवा शुरू होने के बावजूद मरीजों व उनके परिजनों को उनके बारे में जानकारी नहीं है। पहले तो वार्ड में ही बाहर निकलने से पहले वार्ड बॉय व सफाई कार्मिक उन्हें गुमराह करते हुए प्री-पेड बूथ तक उन्हें पहुंचने भी नहीं देते। यहीं कारण है कि प्री-पेड बूथ शुरू हुए दो माह हो गए और जब तक 27 गाडिय़ों को सिर्फ 51 फेरे मिले, जबकि एम्बुलेंस सेवा का उपयोग करने पर प्रतिदिन सौ से ज्यादा लोग है।

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