धर्म स्थल पूजनीय है, इसलिए पाबंदी नहीं होनी चाहिए
कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्पष्ट किया था कि आप मध्यस्थता के जरिए अपनी बातें स्पष्ट कर दें दुख की बात है कि ऐसे विषय में बुरे हालात बने। धर्म स्थल पूजनीय है, इसलिए पाबंदी नहीं होनी चाहिए। मैं सिर्फ दर्शन के लिए जाना चाहता था लेकिन जिला प्रशासन वह भी नहीं करवा पाया, यह जिला प्रशासन की कमजोरी रही। कानूनी रूप से, पारंपरिक रूप से दर्शन करना मेरा हक बनता है, लेकिन प्रशासन वह नहीं करवा पाया। सिटी पैलेस से पथराव होने के मामले में कार्रवाई नहीं की गई। प्रशासन ने प्रोपर्टी सीज करने का नोटिस लगाया। गेट खुलवाने के लिए फोर्स नहीं होने की बात कही थी। अब फोर्स मंगवा रहे हैं तो देखते हैं कि प्रशासन क्या करवा पाता है। कानूनी रूप से मुझे पूजा स्थल पर जाने से नहीं रोका जा सकता। उन्होंने कहा कि 1984 में अंतिम बार सिटी पैलेस गए थे, तब से वहां नहीं गए।
यह है विवाद की वजह
दरअसल, विश्वराज सिंह मेवाड़ की पगड़ी-दस्तूर की रस्म के बाद सिटी पैलेस के धूणी स्थल पर जाने का कार्यक्रम तय किया गया। यहीं से विवाद शुरू हो गया। वर्तमान सिटी पैलेस का संचालन महेंद्र सिंह मेवाड़ के छोटे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ की ओर से किया जा रहा है। अरविंद सिंह मेवाड़ के पक्ष ने बगैर अनुमति किसी के भी प्रवेश पर रोक लगा दी।
घंटाघर थानाधिकारी को रिसीवर नियुक्त
सिटी पैलेस में घुसने के विवाद को लेकर देर रात तक पथराव व माहौल गरमाने के बाद जिला मजिस्ट्रेट (नगर) ने विवादित स्थल को कुर्क करते हुए घंटाघर थानाधिकारी रिसीवर नियुक्त कर दिया। थानाधिकारी जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष पूरे घटनाक्रम की रिपेार्ट देते हुए कानून व्यवस्था बिगडऩे का हवाला दिया था। जिला मजिस्ट्रेट ने रिपोर्ट पर विवादित स्थल सिटी पैलेस स्थित बड़ी पोल से धूणी व जनाना महत तक जाने के रास्ते व धूणी वाले स्थान को कुर्क किया तथा मामले में घंटाघर थानाधिकारी को रिसीवर नियुक्त किया।