Udaipur News : इम्युनिटी और हीमोग्लोबीन बढ़ाने के साथ अफगान की किशमिश खून को साफ कर रही है। स्वास्थ्य के प्रति जागरुक युवा अफगानिस्तान के कंधार और सूंडेखानी से आनी वाली गोल व लबी किशमिश खूब खरीदकर खा रहे हैं। यह स्वादिष्ट किशमिश अभी बाजार में 600 से 2000 रुपए प्रति किलो बिक रही है। उदयपुर में लोग अफगानी किशमिश के साथ मुनक्का को भी खूब पसंद कर खरीद रहे हैं। अकेले उदयपुर में रोजाना किशमिश व मुनक्का का उठाव करीब आठ टन है।
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चाइनीज किशमिश को नकारा, बाजार से गायब
भारतीय बाजार में पहले चाइनीज किशमिश खूब बिकती थी। इसको प्राकृतिक नहीं होने और पानी में रंग छोड़ने के कारण लोगों ने पूरी तरह से नकार दिया है। यह बाजार से 90 प्रतिशत गायब हो गई। इस किशमिश के विकल्प के रूप में महाराष्ट्र के सांगली से हरी व भूरी कलर की किशमिश आ रही है। चाइना के माल के फेर में लोग हरी कलर की किशमिश में रूचि कम दिखा रहे है, भूरी कलर की किशमिश ज्यादा खरीद रहेे हैं।नेचुरल नहीं होने व रंग छोड़ने से बाजार से गायब हुई चाइनीज किशमिश
किशमिश के साथ ही मुनक्का का भी खूब चलन है। मुनक्का रोजाना शहर में 3 से 4 टन बिक रहा है। इसके साथ ही काली किशमिश भी खूब बिक्री है। कोरोना जैसी महामारी के बाद स्वास्थ्य के प्रति चौकन्ने हुए शहरवासी अब बेहतरीन किश्म की किशमिश, मुनक्का, का सेवन कर रहे हैं। काली किशमिश में खून साफ करने की खासी क्षमता है, तो आइसक्रीम में भी जमकर उपयोग हो रहा है।इनका कहना है…
चाइनीज किशमिश बाजार से लगभग गायब हो चुकी है। लोग इयुनिटी और हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए अफगान की किशमिश का खूब सेवन कर रहे हैं। मुनक्का का भी खूब उठाव हो रहा है।- अनिल मेहता, अध्यक्ष, श्री उदयपुर किराणा एवं ड्राई फ्रूट एसोसिएशन यह भी पढ़ें