उदयपुर के सरकारी शिक्षक रणवीर सिंह राणावत कुछ ऐसा ही मदद का जज्बा हमेशा साथ लेकर चलते हैं। राणावत ने शनिवार को दुर्घटना में गंभीर घायल हुए दो युवकों को ना केवल समय पर अस्पताल पहुंचाया, बल्कि उन्हें दुर्घटनास्थल पर ही सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देकर उनकी सांसें थमने से भी बचाई। यदि एक मिनट की देरी भी होती तो एक मौके पर ही दम तोड़ देता और दूसरा लोगों की भीड़ होने के बावजूद समय पर मदद नहीं मिलने से जान गंवा देता। लेकिन, दोनों को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया। अब एक का थोड़ी बेहतर हालत में तथा दूसरे का बेहोशी में इलाज जारी है।
50 लोगों की भीड़ में से कोई मदद को तैयार नहीं, गुहार की तो कुछ के दिल पसीजे बड़गांव ब्लॉक के बेदला ग्राम पंचायत के राउमावि में शारीरिक शिक्षक रणवीर सिंह राणावत के अनुसार शनिवार रात 8 बजे के करीब तितरड़ी क्षेत्र से गुजरते समय देखा कि हाइवे पर एक्सीडेंट हुआ है और दो लोग खून में लथपथ जमीन पर निढाल पड़े थे। दोनों के सिर फटे हुए थे और 50 से ज्यादा लोग खड़े थे, जो डर से सिर्फ खड़े होकर फोटो खींच रहे थे। ऐसे में रणवीर ने बिना एक क्षण गवाएं एक्टिव ब्लड कंट्रोल तकनीक से दोनों के सिर से बहते खून को तुरंत बंद किया। एक युवक की सांस बंद हो रही थी तो उसे तुरंत सीपीआर देकर होश में लाया और जो दूसरा व्यक्ति अंतिम सांसें ले रहा था, उसके लिए लोगों से मदद की गुहार की तो कुछ व्यक्तियों के दिल पसीजे और सहयोग के हाथ आगे बढ़े। चंद्रेश लिखारी नाम के व्यक्ति ने अपनी कार उपलब्ध कराई। एक को कार की पिछली सीट पर पूरा लिटाया और दूसरे को कार की डिक्की में बैठाया। रास्ते में ही एक एंबुलेंस नजर आई तो उन्हें उस एंबुलेंस में शिफ्ट किया, लेकिन किसी हादसे में एंबुलेंस का अटेंडेंट भी जख्मी हो गया था तो ऐसे स्थिति में उन्हें स्वयं को पूरे रास्ते प्राथमिक चिकित्सा देते हुए अस्पताल पहुंचाया। बकौल रणवीर घायलों में से एक मुझसे कह रहा था, भैया मुझे मरने मत देना, तब मैंने हिम्मत बंधाते हुए कहा कि कुछ नहीं होगा आप दोनों को। लगभग 45 मिनट बाद दोनों को चिकित्सकों के हाथ में सुरक्षित सौंपा।
अब तक कई लोगों की जान बचा चुके रणवीर रणवीर ने बताया कि उन्होंने एक्टिव ब्लड कंट्रोल और सीपीआर का प्रशिक्षण लिया है। साथ ही नागरिक सुरक्षा का कोर्स भी किया है। इससे पहले भी वे कइयों की जान बचा चुके हैं। किसी को डूबने से बचाया तो किसी घायल को तुरंत अस्पताल पहुंचाया। उन्होंने बताया कि लोग हादसा देखकर अक्सर घबरा जाते हैं, लेकिन उस समय धैर्य रखकर लोगों की जान बचाना सबसे अहम होता है। दुर्घटना के दौरान घायलों को सही समय पर सीपीआर मिल जाए तो उनकी जान बच सकती है। जब तक व्यक्ति को होश में रख सकें तब तक उसे होश में रखें। उसके बाद सांस बंद पड़ने पर सीपीआर देते रहें। ये कुछ ही क्षण होते हैं जब किसी की जिंदगी आपके हाथों में होती है और आप उसे बचाने की कोशिश कर सकते हैं।