READ MORE : करीब एक हजार वर्ष पुरानी इस विष्णु नगरी का रखरखाव करने वाला कोई नहीं, खजाने के लिए खोद रहे हैं मंदिरों के गर्भगृह… शुरूआत के बाद इस कार्य में प्रोडक्ट भी बढ़ाते गए। जंगल के पास रहने वालों को वहीं रोजगार मिल गया और जंगल भी संरक्षित हुआ है। यहां के जंगल में बनने वाली हर्बल गुलाल और ग्वारपाठे के जैल की मांग रहती है। इसका और विस्तार किया जाएगा। – ओपी शर्मा, उप वन संरक्षक (उत्तर)