इसी के तहत गिर्वा ओर मेवल क्षेत्र में गवरी वलावन कार्यक्रम हुआ| इन दिनों जहाँ गवरी का वलावन हो रहा है वहाँ गांव में मेले सा माहौल रहा। अंतिम दिन दूूरस्थ क्षेत्र से आए आदिवासियों ने मेवाड़ की लौकिक संस्कृति का भरपूर आनन्द लिया। सवा महीने तक चली गवरी में आज दोपहर में गोरज्या माता की सवारी और ज्वारे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। जिसमेंं मांंदल की थाप पर गवरी खेलने वाले थिरकते रहे, सरकारी स्कूल में भव्य आयोजन हुआ। लोगोंं ने गवरी का नृत्य का आनन्द लिया। हाथी सवारी से निकली गोरज्या माताजी का भव्य जागरण के साथ साथ चोर और बंजारे का खेल हुआ जिसमे दोनों खेल खेल में हाथापाई और तलवार की ललकार और भाले से वार करते हुए मादल की थाप पर एक दूसरे से गुतम गुत्था करते देर शाम तक खेलते हुए वहां पर नदी में पाती का विसर्जन हुआ ।
READ MORE : वन्यजीव सप्ताह का समापन : वन्यजीव क्विज में देवांग, रजत व ईशानी की टीम अव्वल मेवल में गवरी समाप्ति पर बहनों द्वारा भाइयों को पेरावनी की। इस दोरान कई ग्रामीण और रिश्तेदार भी शरीक हुए और सभी गवरी कलाकारों का माल्यापर्ण कर स्वागत किया गया इधर अब पुरानी परंपरा को भाई कर्ज मानने लगे हैंं जिसमेंं पेरावनी को स्वीकार नहींं करके ग्राम पंचायत सरू में समाज की अलख जगाई है | एक समाज को अनूठा उदाहरण देकर भाइयोंं ने गुड़ या मिठाई लेना स्वीकार किया बताया गया कि यहांं पर सवा महीने से चले आ रहे अनुष्ठान में भाइयो के व्रत बहनों ने मुँह मीठा कर व्रत खुलवाया। गाैैरतलब है कि शिव पार्वती की पूजा कर भील समाज के पुरुष गवरी खेलते हैंं जो सवा माहतक घर से बाहर रहकर अलग अलग गांवों में गवरी में विभिन्न प्रसंग देशी अंदाज में कहकर लोगो को हास्य मनोरंजन करवाते हैंं। अंतिम दिन निकली गोरज्या माता की सवारी में भरी भीड़ उमड़ी।