उदयपुर

पत्रिका बिग इम्पेक्ट : वनवासियों को अधिकार देने के लिए पहली बार शिडयूल कार्यक्रम बना, जिम्मेदारी तक तय की

मुख्यमंत्री की अभियान चलाने की घोषणा के बाद जनजाति विभाग ने जारी किया कार्यक्रम, ऑनलाइन दावा भी कर सकते हैं, जनजाति विभाग ने सबकी जिम्मेदारी तय की

उदयपुरAug 12, 2021 / 09:55 am

Mukesh Hingar

जनजाति कार्यालय उदयपुर

मुकेश हिंगड़
उदयपुर. आखिर वनवासियों को वन अधिकार दावे खारिज करने और नए दावे को लेकर आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए अब प्रदेश में छह चरणों में अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत जनजाति विभाग ने पूरी कसावट के साथ कार्यक्रम बनाया है। चरणवार दावों पर काम होगा और इसके लिए सबकी जिम्मेदारी भी तय की गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आदिवासी दिवस के दिन ही इन अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासियों को वन अधिकार दिलाने को लेकर अभियान चलाने की घोषणा की थी, इस पर उदयपुर में जनजाति विभाग ने अभियान का पूरा कार्यक्रम तैयार कर दिया है, इसके तहत कार्य होगा।
कार्यक्रम जारी करते हुए जनजाति विभाग की आयुक्त प्रज्ञा केवलरमानी ने बताया कि 9 अगस्त से 9 नवम्बर तक तीन माह का अभियान चलेगा। केवलरमानी का कहना है कि इस प्रक्रिया के होने से प्रदेश के अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य परम्परागत वन निवासियों को अधिकार पत्र मिल जाएंगे, जिससे उनकी आजीविका में वृद्धि के लिए विभाग सहित अन्य विभागों की विभिन्न योजनाओं, परियोजनाओं, कार्यक्रमों से लाभान्वित किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त सामुदायिक वन अधिकार विकास योजना के तहत सामुदायिक अधिकार पत्र जारी होने वाले गांवों को लेकर भी निर्देश जारी किए है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा 10 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। अभियान को लेकर अधिकारियों एवं कार्मिकों को भी धरातल पर अभियान में आ रही कठिनाइयों का त्वरित निराकरण करने को कहा है।
पत्रिका लगातार उठाता रहा मुद्दा
पत्रिका वन अधिकार को लेकर लगातार मुद्दे उठाता रहा है। इसमें 35 हजार दावे खारिज करने को लेकर जमीनी हकीकत भी पत्रिका ने सामने रखी। 17 जुलाई, 2021 को पत्रिका ने खारिज दावों पर रिपोर्ट प्रकाशित की, साथ ही 20 जुलाई 2021 को वनवासियों की ओर कब जाएगा प्रशासन शीर्षक से आदिवासियों की पीड़ा भी सरकार के समक्ष रखी थी।
पत्रिका ने दावों की स्थिति पर अपने ओपिनियन में सरकार को प्रशासन शहरों के संग शिविर की तरह अभियान चलाने पर जोर दिया था।
ऐसे क्रमवार चलेगा अभियान

पहला चरण
9 से 20 अगस्त तक दावे लिए जाएंगे

दावेदार ग्राम पंचायत स्तर, पंचायत समिति स्तर अथवा उपखंड स्तर पर अपने दावे प्रस्तुत कर सकेगा। साथ ही वह किसी भी ई-मित्र केन्द्र से अथवा स्वयं भी ऑनलाइन दावा प्रस्तुत कर सकेगा। इसके लिए ग्राम विकास अधिकारी, विकास अधिकारी एवं उपखंड अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है।
दूसरा चरण

16 से 23 अगस्त तक चलेगा
उपखंड अधिकारी एवं विकास अधिकारी तथा ऑनलाइन प्राप्त दावों को ग्राम पंचायत को प्रेषित करेंगे। साथ ही आवेदन पर ग्राम विकास अधिकारी द्वारा प्रपत्र की जांच कर राजस्व एवं वन विभाग को रिपोर्ट के लिए भेजा जाएगा। इस सम्बन्ध में ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी, भू-अभिलेख निरीक्षक एवं वन विभाग के कार्मिक को जिम्मेदारी सौपी गई है।
तीसरा चरण
23 से 31 अगस्त तक

राजस्व एवं वन विभाग आवेदनों पर रिपोर्ट तैयार कर पुन: ग्राम विकास अधिकारी को उपलब्ध करवाएंगे। इस संबंध में तहसीलदार, विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी, भू-अभिलेख निरीक्षक एवं वन विभाग के कार्मिक भी कार्य में सहयोग करेंगे।
चौथा चरण
1 से 17 सितम्बर तक
ग्राम सभाएं आयोजित की जाएंगी, जो कि प्राप्त दावा प्रपत्रों पर समुचित निर्णय करेगी। सहयोग के लिए ग्राम विकास अधिकारी एवं वन अधिकार समिति गठित है। साथ ही दावा प्रपत्रों को ग्राम पंचायत स्तर से उपखंड स्तरीय समिति को भिजवाया जाएगा, जिसमें ग्राम विकास अधिकारी की महत्ती भूमिका रहेगी।
पांचवां चरण
20 से 30 सितम्बर तक

उपखण्ड स्तरीय समिति की बैठक होगी,जहां दावा प्रपत्र पर निर्णय प्रक्रिया पूरी की जाएगी। उपखण्ड स्तर से प्राप्त दावों को जिला स्तरीय समिति के समक्ष रखा जाएगा, जिसमें उपखण्ड अधिकारी एवं विकास अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि वे उक्त प्रक्रिया को तय समय पर पूरा करें।
छठा चरण
1 से 29 अक्टूबर
जिला स्तरीय समिति की बैठक आयोजित कर प्राप्त प्रकरणों पर निर्णय प्रक्रिया पूरी की जाएगी, इसमें जिला कलक्टर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उपायुक्त, टीएडी एवं उप वन संरक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। साथ ही वन अधिकार पत्र तैयार कर जारी किए जाएंगे। उक्त जारी प्रपत्रों का राजस्व रिकार्ड में अंकन करते हुए पोर्टल पर प्रविष्टि का कार्य भी इनके द्वारा पूर्ण कराया जाएगा। इसके बाद वनाधिकार हक पत्र वितरण का कार्य किया जाएगा।

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