ग्रेट बिटर्न पक्षी उदयपुर संभाग में 2007 के बाद 2013-14 में नगावली तालाब पर दिखाई दिया था। 2015-16 में वल्लभनगर बांध से निकलने वाली नहर और माल क्षेत्र में देखा गया। इसके बाद इस पक्षी की 2017 में मेनार के धण्ड तालाब, 2018 में मेनार के माल क्षेत्र एवं इस बार जोरजी का खेड़ा में पक्षी की आमद दर्ज हुई है।
यह पक्षी यूरोप के ठंडे प्रदेशों से लेकर जापान तक प्रजनन करता है। यह उन जलाशयों पर बसेरा डालना पसंद करता है, जहां ऐरा घास के सघन झुरमुट पानी के किनारे उगते हैं। यह पक्षी घास के झुरमुट में छिपकर गर्दन और चोंच को ऊपर की तरफ तानकर बैठा रहता है। घास के बीच आसानीपूर्वक नजर नहीं आता है। यह पक्षी घंटों चुपचाप बैठा रहता है तथा व्यवधान होने पर उड़ते समय हुए भी कोई आवाज नहीं करता है। यह पक्षी अकेला रहना पसंद करता है। प्रजनन काल में नर बिटर्न गूंजती हुई बूम-बूम की आवाज निकाल कर मादा को रिझाता है। वैज्ञानिक भाषा में इस पक्षी को बूटोरस स्टेलेरिस कहा जाता है।
पोल पेट्रिक कुलेन, पक्षीविद आयरलैंड