उदयपुर. कोरोना बीमारी और इससे लगे लॉकडाउन ने आम आदमी के जीवन को प्रभावित किया है लेकिन सबसे ज्यादा कोई प्रभावित हुआ है तो सुबह कमाकर शाम को घर चलाने वाले लोग। खाद्य सुरक्षा योजना में पात्र होने वाले परिवारों को योजना का फायदा पता है लेकिन उसका फायदा नहीं मिल रहा है। वे पिछले लॉकडाउन से लेकर अभी तक सरकारी विभागों से लेकर जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगा रहे है लेकिन उनका नाम इस योजना में नहीं जुड़ा। उनका इतना सा कहना है कि उनका नाम जुड़ जाए तो इस संकट की घड़ी में उनको 2 रुपए किलो गेंहू मिल जाएगा और परिवार को सबसे बड़ा आर्थिक सम्बल मिलेगा कि दो वक्त की रोटी का संकट तो दूर होगा। असल में खाद्य सुरक्षा योजना का पोर्टल बंद होने से नया आवेदन तक नहीं लिया जा रहा है।
असल में इस योजना का फायदा लेने के लिए ऐसे परिवार जिसमें खासकर विधवा, विकलांग, श्रमिक व ठेले वाले आदि परिवार जिनका गुजारा भी बड़ी मुश्किल से चल रहा और कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन से उनको में बड़ा धक्का लगा। ऐसे परिवार व खासकर विधवा महिलाएं शहर में पार्षदों तो गांवों में सरपंचों के पास जाकर अपना नाम जुड़ाने के लिए चक्कर लगा रही है। शहर में तो नगर निगम से लेकर रसद विभाग के कार्यालय तक ऐसे आवेदन लेकर आए दिन ऐसे प्रभावित परिवार पहुंच जाते है। अधिकांश पार्षदों का कहना है कि उनके पास ऐसे ढेरों केस है जिनको इस संकट में मदद चाहिए लेकिन रसद विभाग से लेकर उपखंड अधिकारी कार्यालय तक एक ही जवाब मिलता है कि पंजीकरण का पोर्टल सरकार ने बंद कर रखा है। बताते है कि पिछले लॉकडाउन के पहले से ये पोर्टल बंद है और नाम नहीं जुडऩे से ऐसे लोग इस योजना का फायदा नहीं ले पा रहे है।
योजना को समझे
खाद्य सुरक्षा योजना के लाभ के लिए पेंशनर्स, निर्माण श्रमिक, लघु सीमांत किसान, घरेलु कामकाजी महिला, विधवा, विकलांग सहित 24 श्रेणी वाले इस योजना में आते है। इसके लिए ऑनलाइन सक्षम दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होता है और उसके बाद उपखंड अधिकारी कार्यालय से इसकी अनुमति जारी होती है। नाम जुडऩे के बाद डीएसओ के जरिए राशन की दुकानों के पात्र परिवारों को दो रुपए किलो गेंहू मिलता है। इसमें स्वास्थ्य को लेकर भी फायदा दे रखा है।
असल में इस योजना का फायदा लेने के लिए ऐसे परिवार जिसमें खासकर विधवा, विकलांग, श्रमिक व ठेले वाले आदि परिवार जिनका गुजारा भी बड़ी मुश्किल से चल रहा और कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन से उनको में बड़ा धक्का लगा। ऐसे परिवार व खासकर विधवा महिलाएं शहर में पार्षदों तो गांवों में सरपंचों के पास जाकर अपना नाम जुड़ाने के लिए चक्कर लगा रही है। शहर में तो नगर निगम से लेकर रसद विभाग के कार्यालय तक ऐसे आवेदन लेकर आए दिन ऐसे प्रभावित परिवार पहुंच जाते है। अधिकांश पार्षदों का कहना है कि उनके पास ऐसे ढेरों केस है जिनको इस संकट में मदद चाहिए लेकिन रसद विभाग से लेकर उपखंड अधिकारी कार्यालय तक एक ही जवाब मिलता है कि पंजीकरण का पोर्टल सरकार ने बंद कर रखा है। बताते है कि पिछले लॉकडाउन के पहले से ये पोर्टल बंद है और नाम नहीं जुडऩे से ऐसे लोग इस योजना का फायदा नहीं ले पा रहे है।
योजना को समझे
खाद्य सुरक्षा योजना के लाभ के लिए पेंशनर्स, निर्माण श्रमिक, लघु सीमांत किसान, घरेलु कामकाजी महिला, विधवा, विकलांग सहित 24 श्रेणी वाले इस योजना में आते है। इसके लिए ऑनलाइन सक्षम दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होता है और उसके बाद उपखंड अधिकारी कार्यालय से इसकी अनुमति जारी होती है। नाम जुडऩे के बाद डीएसओ के जरिए राशन की दुकानों के पात्र परिवारों को दो रुपए किलो गेंहू मिलता है। इसमें स्वास्थ्य को लेकर भी फायदा दे रखा है।
केस एक
शहर के बाहुबली कॉलोनी में 50 वर्षीय विधवा महिला सब जगह चक्कर लगा चुकी लेकिन उसे यह लाभ नहीं मिला। बीमारी से पति की मौत हो गई लेकिन खाद्य सुरक्षा के लिए पार्षद से लेकर सरकारी विभागों में जाकर आ गई लेकिन नाम नहीं जुड़े तब तक फायदा नहीं मिल रहा। कोरोना ने मुश्किलें बढ़ा दी है।
केस : 3
विधवा, विकलांग, ठेले वाले व श्रमिकों के नाम पार्षदों के पास बड़ी संख्या में है। पार्षद बोले कि आवेदन नहीं ले रहे है तब भी लोग देकर चले जाते है। गरीबों को इस समय इस योजना का फायदा चाहिए लेकिन उनको तकलीफ के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है।
विधवा, विकलांग, ठेले वाले व श्रमिकों के नाम पार्षदों के पास बड़ी संख्या में है। पार्षद बोले कि आवेदन नहीं ले रहे है तब भी लोग देकर चले जाते है। गरीबों को इस समय इस योजना का फायदा चाहिए लेकिन उनको तकलीफ के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है।
केस 3
सुंदरवास क्षेत्र में विकलांग व विधवा महिलाएं राशन की दुकान से लेकर कलक्टरी तक के चक्कर लगा चुकी। वहां के पार्षद भी नगर निगम में जाकर थक गए लेकिन जरूरतमंद को पूरे कोरोना काल में इस योजना का लाभ नहीं मिल सका।
सुंदरवास क्षेत्र में विकलांग व विधवा महिलाएं राशन की दुकान से लेकर कलक्टरी तक के चक्कर लगा चुकी। वहां के पार्षद भी नगर निगम में जाकर थक गए लेकिन जरूरतमंद को पूरे कोरोना काल में इस योजना का लाभ नहीं मिल सका।
पत्रिका व्यू….
सांसद-विधायक आवाज बने ऐसे जरूरतमंदों की खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जोडऩे के लिए केन्द्र व राज्य सरकार के स्तर पर पोर्टल को शुरू करने के लिए हमारे सांसदों व विधायकों को ऐसे परिवारों की आवाज बनना चाहिए। सरकार के स्तर पर पोर्टल बंद है और इस कोरोना के संकट में इन लोगों की मदद के लिए वे राज्य व केन्द्र सरकार तक अपनी मजबूत पैरवी करते हुए नाम जुड़ाने की प्रक्रिया के लिए पोर्टल खुलवाने के प्रति काम करें। स्वयं इन जनप्रतिनिधियों के पास ऐसे परिवारों से लेकर इनके नीचे के स्तर के जनप्रतिनिधि तक पहुंच ये पीड़ा बता रहे है। सारी चीजे सबके सामने है, कोरोना व लॉकडाउन से ऐसे परिवारों पर बीत रही स्थिति इनके सामने है, ऐसे में इसके लिए ऐसे जरूरतमंद लोगों की आवाज बनना चाहिए।