सोसायटी अध्यक्ष डॉ. दीपांकर चक्रवर्ती ने बताया कि 1 अक्टूबर को कल्पारम के साथ पूजा प्रारम्भ होगी और इस अवसर पर आमंत्रण अधिबास आयोजित की जाएगी। 2 को महासप्तमी को नवपत्रिका प्रवेश, सप्तमी पूजा, बलिदान,आरती, पुष्पांजलि,भोग आदि अनुष्ठान होंगे। 3 को महा अष्टमी पर विहिता पूजा,बलिदान, आरती,पुष्पांजलि एवं रात्रि को विशेष संधि पूजा आयोजित की जाएगी। 4 को महानवमी पर विरिता पूजा,बलिदान,आरती,पुष्पांजलि,होम एवं पूर्णाहुति के आयोजन होंगे। 5 को विजयादशमी पर्व पर विजयदशमी पूजा दर्पन,विसर्जन,अपराजिता पूजा एवं महिलाओं को सिंदूर खेलने के पश्चात जुलूस के रूप में प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। प्रतिदिन शाम को सांस्कृतिक कार्यकम आयोजित होंगे। महानवमी पर बंगाली नाटक का आयोजन किया जाएगा।
शहर के भूपालपुरा स्थित बंग भवन में महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा सज-धज कर तैयार की जा चुकी है। षष्ठी पूजा के साथ ही दुर्गा पूजा के अनुष्ठान भी शुरू हो जाएंगे। बंगाली समाज के पूजा सचिव तपन रॉय ने बताया कि पहले दिन मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना होगी व छठी, सप्तमी, अष्टमी और दशहरा पर दुर्गा पूजा कार्यक्रम होगा। षष्ठी से पुष्पांजलि और प्रसाद वितरण कार्यक्रम होगा। अष्टमी पूजन पर बड़ा कार्यक्रम होगा। पूरे समाज के लोग दर्शन व पूजा के लिए जुटेंगे। इसमें 108 कमल के फूल चढ़ाए जाएंगे। 108 दीप जलाए जाएंगे। वहीं, नवमी पर सुबह पूजा और हवन होगा। दशमी पर विसर्जन की रस्म निभाई जाएगी। साथ ही सिंदूर खेलाने की परंपरा सुहागिनें हमेशा की तरह निभाएंगी।