प्रदेश के प्रमुख पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक अनुसंधान के तहत राजस्थान में धतूरे की नई प्रजाति मिली है। इस प्रजाति को ढूंढने का श्रेय उदयपुर के सेवानिवृत्त वन अधिकारी व पर्यावरणविद् डॉ. सतीश शर्मा, फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी उदयपुर के जीव विज्ञानी डॉ.अनिल सारस्वत तथा जालौर वन मंडल के सहायक वन संरक्षक अनिल कुमार गुप्ता को जाता है। वनस्पतिविज्ञों के अनुसार संसार में धतूरे की 14 प्रजातियां ज्ञात है, जिनमें राजस्थान में 4 प्रजातियां ज्ञात है। हाल ही में राजस्थान में धतूरे की पांचवी प्रजाति धतूरा डिस्कलर का पता चला है।
डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि राजस्थान में पूर्व में मिलने वाली चारों प्रजातियों के फूल का आंतरिक गला सफेद या गंदला सफेद होता है, लेकिन नई प्रजाति के फूल का गुलाब जामुनी है। यह प्रजाति जालौर जिले में जाबिया, सुंधामाता, पूरन, राजपुरा, दांतलावास, कटोला की ढाणी, भीनमाल में देखी गई। इस प्रजाति को जैसलमेर शहर में भी उगते देखा गया है।
इस तरह की है नई प्रजाति:
इस प्रजाति का धतूरा राजस्थान में लगभग 60 सेमी तथा ऊंचा बढ़ता देखे गया जो कई जगह खासकर जैसलमेर शहर में तो निरंतर एक सघन पैच़ के रूप में उगता देखा गया। इस प्रजाति में फूल 16 से 18 सेंटीमीटर लंबा होता है जो बाहर से सफेद होता है लेकिन अंदर गले में स्कान्ठ बैंगनी धब्बा होता है। इसके फूल रात्रि में खिलते हैं तथा दिन उगने पर मुरझा जाते हैं। फूल सीधा खिलता है लेकिन उसकी जगह बना फल नीचे की तरफ मुड़कर लटकता हुआ नजर आता है। इस पौधे के पत्ते संतूर होते हैं।
यह पौधा मूल रूप से उत्तरी अमेरिका, मैक्सिको तथा कैरेबियन द्वीप का निवासी है। मिस्र में इसकी दवा हेतु खेती की जाती है। प्रथम बार इसे 1833 में भारत के बर्नहार्डी नामक वैज्ञानिक ने देखा था बाद में इसे कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी खोजा गया। राजस्थान इस सूची में अब नया राज्य जुड़ गया है तथा राजस्थान में यह इसकी प्रथम उपस्थिति दर्ज हुई है। इस प्रजाति सहित अब राजस्थान में धतूरो की 5 प्रजातियां ज्ञात हो गई है। इस महत्वपूर्ण खोज को हाल ही में अनुसंधान जर्नल ‘इंडियन जर्नल आफ एनवायरमेंटल साइंस‘ ने अपने अंक 26 में प्रकाशित किया है।
Hindi News / Udaipur / राजस्थान में धतूरे की पांचवीं नई प्रजाति की खोज, जानिए कहां मिली और क्या खास है इस प्रजाति में