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उदयपुर

द्वारिका में ‘प्रभुु मुरली मनोहरजी’ भगवान भरोसे

देवस्थान ने 31 लाख की धर्मशाला बनाई वह भी खराब हो गई, बीकानेर के पूर्व महाराजा गंगासिंह ने बनाया था मंदिर, एक मात्र चौकीदार संभाल रहा था वह भी चल बसा

उदयपुरJul 03, 2020 / 03:23 pm

Mukesh Hingar

द्वारिका में प्रभू मुरली मनोहरजी

द्वारिका में प्रभू मुरली मनोहरजी

मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. गुजरात के द्वारिका स्थित भगवान मुरली मनोहर मंदिर भगवान भरोसे है। राजस्थान के देवस्थान विभाग के अधीन इस मंदिर को संभालने वाला कोई नहीं है। वहां एक चौकीदार था वह भी चल बसा। यही नहीं इस मंदिर में धर्मशाला बनाने के लिए सरकार ने करीब 31 लाख रुपए खर्च किए वह भी एक तरह से पानी में बह गए है। अभी वहां भगवान और उनकी संपदा को संभालने वाला कोई नहीं है।
देवस्थान विभाग के राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार का यह मंदिर 7038 वर्ग फीट के भूखंड पर है। मंदिर के साथ 840 वर्ग फीट पर निर्मित धर्मशला के ग्राउंड फ्लोर और प्रथम फ्लोर पर निर्माण किया गया है। बड़ी बात यह है कि 2013-14 में 25 लाख रुपए स्वीकृत कर यह काम किया गया और जब मई 2014 में काम पूरा हुआ तो उस पर कुल 31.53 लाख रुपए खर्च हुए। अब लापरवाही की तस्वीर यहां से शुरू होती है कि इतना खर्चा करने के बाद भी धर्मशाला को किराए पर नहीं दिया गया। देवस्थान विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त दिनेश कोठारी ने अपने निरीक्षण की रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा कि धर्मशाला खाली होने से खराब हो गई है, फिर से मरम्मत की जरूरत है, उन्होंने उसके लिए उस समय के तत्कालीन सहायक आयुक्त को सीधे-सीधे दोषी बताया। इसके बावजूद आज भी स्थिति जस की तस है। मंदिर के भूखंड पर नीचे दो हॉल, दो कमरे व बरामदा तो ऊपर प्रथम तल पर मंदिर है। सबसे बड़ी बात यह है कि समुद्र के किनारे स्थित इस मंदिर की हालत भी जर्जर बताई गई है। मंदिर से कोई आय नहीं होती है।

भगवान की मजबूरियां ऐसी
– मंदिर से राजस्व नहीं मिलता
– किराया भी समय पर नहीं मिलता
– धर्मशाला खाली होने से खराब हो गई
– मंदिर व धर्मशाला के बीच गली में अतिक्रमण हो गए
– मंदिर में प्रबंधक, पुजारी व चौकीदार के पद खाली पड़े
– एक मात्र चौकीदार था जिसकी भी पिछले दिनों मौत हो गई

मंदिर का इतिहास
मंदिर का निर्माण संवत् 1930 में बीकानेर के तत्कालीन महाराजा गंगासिंह ने करवाया था। मंदिर द्वारिका के प्रमुख द्धारकाधीश मंदिर से 200 मीटर दूर गौमती घाट पर स्थित होकर द्वारिका के प्रमुख स्थल है।

जो राय दी उस पर भी नहीं दिया ध्यान
तब निरीक्षण रिपोर्ट में भी कहा गया था कि मंदिर के पीछे की ओर 2 फीट रोड के बाद जो पार्किंग विकसित की गई उस तरफ मंदिर का मुख्य दरवाजा खोलना चाहिए। उस तरफ ही सनसेट प्वाइंट भी है जहां हमेशा भीड़ रहती है। साथ ही मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ दो-दो दुकानें बना दी जाए तो राजस्व भी मिलेगा और मंदिर से लोग भी जुड़ेगे।
इनका कहना है…
असल में लीज पर देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। उसकी बेस प्राइज कम आ रही थी और सिंगल टेंडर ही आया था। अब वापस से लीज की टेंडर प्रक्रिया कर रहे है, यहां आयुक्त कार्यालय से उसकी अनुमति भी सहायक आयुक्त के लिए जारी कर दी गई है।
– ओ.पी. जैन, अतिरिक्त आयुक्त देवस्थान विभाग

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