– किराया भी समय पर नहीं मिलता
– धर्मशाला खाली होने से खराब हो गई
– मंदिर व धर्मशाला के बीच गली में अतिक्रमण हो गए
– मंदिर में प्रबंधक, पुजारी व चौकीदार के पद खाली पड़े
– एक मात्र चौकीदार था जिसकी भी पिछले दिनों मौत हो गई
मंदिर का इतिहास
मंदिर का निर्माण संवत् 1930 में बीकानेर के तत्कालीन महाराजा गंगासिंह ने करवाया था। मंदिर द्वारिका के प्रमुख द्धारकाधीश मंदिर से 200 मीटर दूर गौमती घाट पर स्थित होकर द्वारिका के प्रमुख स्थल है।
जो राय दी उस पर भी नहीं दिया ध्यान
तब निरीक्षण रिपोर्ट में भी कहा गया था कि मंदिर के पीछे की ओर 2 फीट रोड के बाद जो पार्किंग विकसित की गई उस तरफ मंदिर का मुख्य दरवाजा खोलना चाहिए। उस तरफ ही सनसेट प्वाइंट भी है जहां हमेशा भीड़ रहती है। साथ ही मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ दो-दो दुकानें बना दी जाए तो राजस्व भी मिलेगा और मंदिर से लोग भी जुड़ेगे।
असल में लीज पर देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। उसकी बेस प्राइज कम आ रही थी और सिंगल टेंडर ही आया था। अब वापस से लीज की टेंडर प्रक्रिया कर रहे है, यहां आयुक्त कार्यालय से उसकी अनुमति भी सहायक आयुक्त के लिए जारी कर दी गई है।
– ओ.पी. जैन, अतिरिक्त आयुक्त देवस्थान विभाग