इसके बाद एक-एक कर कारों को चुराया जा रहा था। तीन गाड़ियां चोरी होने के बाद ही पुलिस ने आरोपियों को धर दबोचा। ऐसे में उदयपुर और आसपास के अन्य जिलों की करीब 31 गाड़ियों को चोरी होने से बचा लिया गया, जिनमें जीपीएस सिस्टम लगाने के साथ ही उनकी डुप्लीकेट चाबियां बना दी गई थी।
पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल ने बताया कि लग्जरी कार चोरी का यह नया तरीका (New method of car theft) है। इस संबंध में गत दिनों सुखेर थाने में कार चोरी का मामला दर्ज हुआ था। टीम ने खोजबीन शुरू की तो जानकारी मिली कि शहर में एक सिल्वर गाड़ी में दो संदिग्ध व्यक्ति घूम रहे हैं। शनिवार को दोनों व्यक्तियों के एनएच 27 पर देखे जाने की सूचना मिलने पर थानाधिकारी हिमांशुसिंह के नेतृत्व में टीम एनएच 27 पर पहुंची और मुखबिर के बताये हुलिये के अनुसार एक वाहन में दो व्यक्ति दिखाई दिए।
उनको रोककर पूछताछ की तो चालक ने अपना नाम बापू नगर कॉलोनी जालोर निवासी लतिफ खान उर्फ हरीश चौधरी और दूसरे ने भीनमाल अतमनावास रेबारियों की ढाणी निवासी विक्रम कुमार बताया। संतोषप्रद जबाव नहीं मिलने पर गाड़ी की जांच की तो अन्दर विभिन्न कार कम्पनी की चाबियां व एक स्टूमेंट मशीन एवं केबलें पड़ी मिली। सामान के बारे में पूछने पर दोनों गाड़ी छोड़कर भागने लगे। उनको पकड़कर गाडी सहित थाने लाया गया।
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पूछताछ में उन्होंने बताया कि गाडी में रखा स्टूमेंट गाडी चोरी करने का नया तरीका है। गाडियों में लगी इलेक्ट्रोनिक डिवाइस के कोड तोडकर चाबियां बनाई जाती है। इससे किसी भी वाहन की चोरी की जा सकती है। पुलिस टीम ने थाने में दर्ज प्रकरण को लेकर चोरी गई कार के बारे में पूछताछ की तो आरोपियों ने तीन गाड़ियां चुराना स्वीकार किया। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।
उदयपुर मामले में आरोपियों द्वारा मॉल में एक्सेस डिटेलिंग नाम से वांशिंग एवं सिर्विस सेन्टर खोला गया। इसमें मॉल घूमने वाले लोगों की गाडी वाशिंग के नाम पर अपने सेन्टर पर ले जाते और सफाई के साथ-साथ वाहन के दिल्ली से 5.50 लाख में खरीदी मशीन से इलेक्ट्रोनिक मैकनिज्म ब्रेक करके वाहन का सम्पूर्ण डाटा स्कैन कर खुद का जीपीएस लगा देते थे। लिए गए डाटा से उक्त वाहन की इलेक्ट्रोनिक सिस्टम से चाबी की कॉपी बनाई जाती। फिर वाहन में लगे जीपीएस को ट्रेक करके वाहन को चुराया जाता। और वाहन को मादक पदार्थों की तस्करी में उपयोग करते।