केन्द्र सरकार ने प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग को `बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’ योजना में करोड़ों रुपए का बजट देकर बटुआ तो खोला, लेकिन विभाग इसमें से आधा भी खर्च नहीं पाया। हालात ये है कि विभाग को विभिन्न माध्यमों से बेटियों के जन्म से लेकर उन्हें पढ़ाने और आगे बढ़ाने के कई कार्यक्रम करने हैं। बेटियों को संबंल दिया जाना है। खास बात ये है कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए कई समितियां बनी हुई है, जिसमें प्रदेश से लेकर जिला स्तरीय आला अधिकारी शामिल हैं, लेकिन इसके बावजूद बीते चार वर्ष के खर्च से ही पता चलता है कि इसे लेकर विभाग कितना गंभीर है। योजनान्तर्गत केन्द्र सरकार से प्रदेश को जिलों के लिए वर्ष 2019, 2020, 2021 एवं 2022 में राशि मिली, लेकिन विभाग इसे पूरी खर्च नहीं कर पाया।वर्ष – प्राप्त राशि – व्यय राशि
1 अप्रेल 2019 से मार्च 2020 – 8 करोड 86 लाख 61 हजार रू. – 4 करोड 36 लाख 37 हजार रू.
1 अप्रेल 2020 से मार्च 2021 – 8 करोड 45 लाख 41 हजार रू. – 5 करोड 25 लाख 67 हजार रू.
1 अप्रेल 2021 से मार्च 2022 – 8 करोड 75 लाख 59 हजार रू. – 5 करोड 76 लाख 24 हजार रू.
1 अप्रेल, 2022 से दिसम्बर 2022 – 4 करोड 14 लाख 23 हजार रू. – अब तक खर्च जारी …..
प्रक्रियाधीन (भारत सरकार द्वारा बजट स्वीकृति 25 अक्टूबर 2022 को जारी की गई) ।
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– योजना के संचालन एवं निगरानी के लिए ये समितियां
क्र.स. – समिति का नाम1 – राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय टास्क फोर्स
2 – जिला स्तर पर जिला कलक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टास्क फोर्स
3 – ब्लॉक स्तर पर उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में ब्लॉक स्तरीय टास्क फोर्स
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समन्वित प्रयासों के तहत लिंगानुपात बढ़ाने की पहलबेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास की संयुक्त योजना है। समन्वित प्रयासों के अंतर्गत बालिकाओं को संरक्षण और सशक्त करने के लिए योजना की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को की गई। सभी राज्यों, संघ शासित क्षेत्रों को 2011 की जनगणना के अनुसार निम्न बाल लिंगानुपात के आधार पर प्रत्येक राज्य में कम से कम एक ज़िले के साथ 100 जिलों का पायलट प्रोजेक्टर के रूप में चयन किया गया है। बढती जनसंख्या के बावजूद लड़कियों का अनुपात घटता जा रहा है। इसे लेकर ही ये योजना शुरू की गई है।
——–ये है मुख्य उद्देश्य –
– पक्षपाती ***** चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना।- बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना।
– बालिकाओं को शोषण से बचाना व उन्हें सही/गलत के बारे में अवगत कराना।
– शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सामाजिक और वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाना।
– लोगों को जागरुक करना एवं महिलाओं के लिए कल्याणकारी सेवाएं वितरित करने में सुधार करना।
– लड़के एवं लड़कियों के ***** अनुपात पर ध्यान केन्द्रित कर महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव और सेक्स डेटरमिनेशन टेस्ट को रोका जा सके।
– बेटियों के अस्तित्व को बचाना एवं उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
– शिक्षा के साथ – साथ बेटियों को अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ाना एवं उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।