पुुरुषोत्तम मास 16 अगस्त तक रहेगा। इसे अधिकमास और मलमास के नाम से भी जाना जाता है। पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है और वे ही इस माह के स्वामी हैं। मान्यता है कि अधिकमास में की गई पूजा-पाठ, यज्ञ, व्रत-उपवास अन्य महीनों के मुकाबले 10 गुना फलदायी होते हैं। इस माह में भगवान विष्णु की आराधना और भागवत कथा श्रवण करना बेहद पुण्यदायी होता है।
राजस्थान के इन चार जिलों में इस समाज में नहीं होगा प्री-वेडिंग शूट, जानिए क्या है वजह
अधिकमास होने से सावन दो माह का
पं. जगदीश दिवाकर के अनुसार, भारतीय पंचांग गणना पद्धति के अनुसार, सूर्य वर्ष में 365 दिन होते हैं और चंद्र वर्ष में 354 दिन होते हैं, इस तरह से एक साल में चंद्र और सूर्य वर्ष में 11 दिनों का अंतर होता है और तीन साल में यह अंतर 33 दिनों का हो जाता है। यह 33 दिन तीन साल बाद एक अतिरिक्त महीना बन जाता है यही अतिरिक्त 33 दिन किसी माह में जुड़ जाता है, जिसे अधिकमास का नाम दिया जाता है।
कल से शुरू हो रहा है अधिकमास, जानिए क्या नहीं करना होगा फायदेमंद?
इस साल अधिकमास सावन माह में है। इसलिए सावन दो महीने का होगा। सावन का महीना भगवान शिवजी का प्रिय महीना है और इस पूरे महीने भगवान शिव की पूजा-अराधना की जाती है और व्रत रखे जाते हैं। लेकिन इस वर्ष अधिकमास से सावन बहुत खास रहेगा है। ऐसे में हरि और हर दोनों का पूजन किया जाएगा।