मानसी वाकल परियोजना एक नजर में
60 करोड़ की लागत से वर्ष 2006 में गोराणा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर मानसी नदी पर पानी मानसी वाकल बांध का निर्माण किया गया। इसे देवास प्रथम चरण के नाम से जाना जाता है। बांध से नियमित उदयपुर पानी की सप्लाई की जा रही हैं। बांध निर्माण के बाद से क्षेत्र में कभी पानी नहीं छोड़ा गया।
60 करोड़ की लागत से वर्ष 2006 में गोराणा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर मानसी नदी पर पानी मानसी वाकल बांध का निर्माण किया गया। इसे देवास प्रथम चरण के नाम से जाना जाता है। बांध से नियमित उदयपुर पानी की सप्लाई की जा रही हैं। बांध निर्माण के बाद से क्षेत्र में कभी पानी नहीं छोड़ा गया।
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गिरने लगा कुओं का जल स्तर इस वर्ष झाड़ोल तहसील में औसत से कम वर्षा होने से क्षेत्र में अभी से ही पानी का संकट है। कुओं व नलकूपों का जलस्तर गिर गया है। पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित कुओं में तो पानी है ही नहीं। नदी पेटे स्थित कूपों में नदी में पानी सूखने के साथ गिरावट हो गई है। जिससे इस वर्ष रबी की फसल भी नहीं पक पाएगी।
गिरने लगा कुओं का जल स्तर इस वर्ष झाड़ोल तहसील में औसत से कम वर्षा होने से क्षेत्र में अभी से ही पानी का संकट है। कुओं व नलकूपों का जलस्तर गिर गया है। पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित कुओं में तो पानी है ही नहीं। नदी पेटे स्थित कूपों में नदी में पानी सूखने के साथ गिरावट हो गई है। जिससे इस वर्ष रबी की फसल भी नहीं पक पाएगी।
पानी छोड़ें तो मिले लाभ मानसी वाकल बांध के करीब300 मीटर की दूरी पर ही स्थित गोराणा गांव के कूपों में पानी नहीं है। किसानों ने बताया कि इस वर्ष वर्षा कम होने से कुएं सूखे पड़े है। मानसी वाकल बांध से नवम्बर व जनवरी माह में नदी में पानी छोड़ा जाता है तो नदी पेटे स्थित कूपों का जल स्तर बढऩे से थोडी बहुत गेहूं की फसल व मवेशियों को भी पीने का पानी मिल सकेगा।
क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार
मानसी वाकल बांध का पानी क्षेत्र में सिर्फ मानसून से पूर्व गेट चैक या ओरवफलो के दौरान ही खोला है, जबकि सूखा होने के बावजूद मवेशियों के लिए एक भी बार पानी नही छोडा है। जो क्षेत्र के सात सौतेला व्यवहार हैं। ग्रामीणों की मांग पर भी नहीं छोड़ा, क्षेत्र के किसानों व ग्रामीणों ने गर्मियों में कई बार पानी छोडऩे की मांग की लेकिन पानी नही़ छोडा गया।
मानसी वाकल बांध का पानी क्षेत्र में सिर्फ मानसून से पूर्व गेट चैक या ओरवफलो के दौरान ही खोला है, जबकि सूखा होने के बावजूद मवेशियों के लिए एक भी बार पानी नही छोडा है। जो क्षेत्र के सात सौतेला व्यवहार हैं। ग्रामीणों की मांग पर भी नहीं छोड़ा, क्षेत्र के किसानों व ग्रामीणों ने गर्मियों में कई बार पानी छोडऩे की मांग की लेकिन पानी नही़ छोडा गया।
22 गांवों में मात्र 1 एमएलडी पानी इस बांध से उदयपुर शहर में प्रतिदिन 28 एमएलडी पानी जा रहा है। 24 घंटे दोनों पम्प चालू रहते हैं, वहीं झाड़ोल तहसील के 22 गांवों में मात्र 1 एमएलडी पानी प्रतिदिन पेयजल के लिए छोड़ा जा रहा है, जो उदयपुर के मुकाबले नहीं के बराबर हैं। पिछले सप्ताह से अधिकारियों की ओर से उदयपुर के पानी में कटौती करते हुए प्रतिदिन 28 एमएलडी कर दी गई है।