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लक्ष्मण को जिस बैध ने संजीवनी बूटी से दिया था जीवनदान, अपने गुजारे के लिए वो बेचा करते थे पान

पूरे देश में लॉकडाउन 3 मई तक के लिये बढ़ा दिया गया है
रामानंद सागर की रामायण में सुषेण वैद्य का किरदार स्व. रमेश चौरषिया ने निभाया था

Apr 16, 2020 / 08:40 am

Pratibha Tripathi

नई दिल्ली। इन दिनों पूरे देश में लॉकडाउन के चलते लोग घरों में रहने के लिए मजबूर है। और घरो के अंदर रहने के बाद दर्शको का घर पर मनोरजन हो सके, इसके लिए टीवी पर कुछ पुराने पंसदीदा शो टेलीकास्ट किए गए हैं। उन्ही में से एक है रामायण।

रामानंद सागर की रामायण में हर पात्र ने अपने किरदार से दर्शको के दिलों मे एक खास छवि छोड़ी है फिर चाहे उनका रोल छोटे से छोटा हो, या फिर बड़ा।

रामायण में अब मेघनाथ के साथ लक्ष्मण जी की लड़ाई का पडाव शुरू हो गया है। और मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए है।अब दर्शकों का उत्साह मेघनाथ का वध देखने के लिए लालाइत है।

लक्ष्मण के मूर्छित अवस्था को दूर करने के लिए हनुमान सुषेण वैद्य को उठाकर ले आते है। और यह बैध हनुमान को संजीवनी बूटी के बारे में बताते है जिससे लक्ष्मण को जीवनदान मिल सकता है। हनुमान के द्वारा लाई गई इस बूटी को पीस कर जीवनदायिनी दवा का रूप देनेवाले सुषेण वैद्य ने इस छोटी सी भूमिका से ही दर्शकों का दिल जीत लिया।

इस किरदार को निभाकर दर्शको का दिल जीत लेने वाले स्व रमेश चौरषिया मध्य प्रदेश के उज्जैन में रहने वाले थे। यहां वो अपनी जीविका के लिए पान की दुकान चलाया करते थे।

रमेश चौरसिया ने एक इंटरव्यू में बताया था कि रामायण में उन्हें जगह देने वाले उनके दोस्त अरविन्द त्रिवेदी थे। उन्हीं की वजह से रमेश को सुषेण वैद्य का रोल निभाने का मौका मिला था। रमेश शुरू से ही लंबी दाढ़ी और बाल रखा करते थे। उनकी कदकाठी वैद्यराज की तरह ही लगती थी इसलिए रामानंद सागर ने उन्हें यह रोल तुंरत ही दे दिया था।

रामायण में किरदार निभाने के बाद रमेश चौरसिया को दूर दूर के लोग पहचानने लगे। अब तो वो पान बाले कम बैध्य के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध हो गए थे। जिसके चलते लोग उन्हें वैद्य समझ कर कुछ लोग इलाज कराने पहुंच जाया करते थे। रामायण में काम करने के बाद भी रमेश में कोई बदलाव नहीं आया था। वो पहले की तरह ही मिलनसार थे।

जब रामायण का शो खत्म हो गया तो वो फिर अपनी दरोज की दिनचर्या में लग गए। और अपनी दुकान पर रमेश चौरसिया ने अपनी भूमिका के फोटो का फ्रेम बनवाकर लगवा दिया थे जिसे लोग आते-जाते देखा करते थे। उनकी दुकान पर अक्सर मिलने वालों की भीड़ रहती थी। इन सबके बावजूद वो एक सामान्य व्यक्ति की तरह ही सबसे व्यवहार करते थे।

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