‘महाभारत’ में ‘मैं समय हूं…’ को इस फेमस आर्टिस्ट ने दी थी अपनी दमदार आवाज
आप सभी ने 90 के दशक में दूरदर्शन (Doordarhan) पर प्रसारित होने वाला सबसे ज्यादा पसंद किया जाना वाला शो ‘महाभारत’ (Mahabharat) तो देखा ही होगा. ये शो कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान भी प्रसारित किया गया था. शो में एक आवाज आप सभी ने सुनी होगी ‘मैं समय हूं…’, लेकिन क्या आप जानते हैं ये किसकी आवाज है.
‘महाभारत’ में ‘मैं समय हूं…’ को इस फेमस आर्टिस्ट ने दी थी अपनी दमदार आवाज
90 के दशक में दूरदर्शन (Doordarhan) पर प्रसारित होने वाले कई टीवी शो आया करते थें, जिनको काफी पसंद किया जाता था. उनमें से कुछ शो धार्मिक हुआ करते थे. जैसे ‘रामायण’ (Ramayana) और ‘महाभारत’ (Mahabharata) हुआ करते थे. जब भी ये शो टीवी पर प्रसारित होने का समय हुआ करता था तो सब टीवी के सामने आकर बैठ जाया करते थे. साथ ही शो में किरादारों के जरिए बोले जाने वाले संवाद को भी बेहद ध्यान से सुना करते थे. कमरे में घोर सन्नाटा पसर जाया करता था.
आज हम आप के साथ श्री कृष्ण के शो ‘महाभारत’ (Mahabharata) के बारे में बता करने जा रहे हैं. आपने भी इस शो को बेहद देखा होगा. इतना ही नहीं कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान भी प्रसारित किया गया था, जिसको काफी देखा जाता था. जब इस शो की शुरूआत होती है तब एक आवाज सुनाई देती है ‘मैं समय हूं…’. बेशक आपने भी सुना ही होगा. ‘मैं समय हूं’ से अपनी बात शुरू करने वाला महाभारत के सूत्रधार हर कड़ी की शुरुआत में आते थे और कहानी को आगे बढ़ाते थे. ऐसे बेहद लोग हैं, जो इस शो को पसंद करते हैं, लेकिन उनको इस आवाज के पीछे कौन हैं नहीं पता होगा.
दरअसल, ये आवाज फेमस वाइस ओवर आर्टिस्ट हरीश भीमानी (Harish Bhimani) की है. हरीश के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने अपने करियर में करीबन 22 हजार से भी ज्यादा रिकॉर्डिंग्स की हैं, लेकिन उनको सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि ‘महाभारत’ के सूत्रधार ‘समय’ से मिली है. एक इंटरव्यू में महाभारत के बारे में बात करते हुए हरीश ने बताया था ‘एक शाम मुझे शो के कास्टिंग डायरेक्टर गूफी पेंटल का कॉल आया और मुझे कहा गया कि बीआर के मेन स्टूडियो में आ जाना कुछ रिकॉर्ड करना है. मैंने उनसे इस बारे में जानना चाहा लेकिन उन्होंने आने को कहकर फोन काट दिया’.
हरीश ने आगे बताया कि ‘जब मैं वहां गया तो मुझे एक कागज दिया गया और उसे पढ़ने को कहा गया, मैंने पढ़ तो लिया लेकिन वहां के लोग संतुष्ट नहीं हुए, मुझसे कहा गया कि ये तो डॉक्युमेंट्री जैसा लग रहा, मैंने कहा तो और क्या है. इसके बाद उन्होंने मुझे समझाया. मैंने फिर से सुनाया, लेकिन उन्हें शायद पसंद नहीं आया और मुझे जाने को कह दिया गया. इसके बाद दो-तीन दिन बाद फिर बुलाया गया. मैं फिर से गया और फिर मैंने 7-8 टेस्ट दिए, लेकिन इस बार भी उन्हें कुछ ख़ास नहीं लगा. फिर मैंने सुझाव दिया कि आप लोग आवाज़ बदलने को कह रहे हैं जिससे इसकी गम्भीरता ख़त्म हो रही है. आप मुझे अपने हिसांब से करने दीजिए. हरीश ने कहा इसके बाद मैंने दोबारा कहा ‘मैं समय हूँ, इस बार उन्हें पसंद आया और आगे क्या हुआ आओ सब जानते हैं.’