इधर पत्रलेखा डाइनिंग टेबल पर सबके लिए खाना सर्व करती है। उसने सम्राट के पसंद का ही खाना बनाया होता है। वह खुशी-खुशी सबको बुलाती है। जिसे देखकर सब हैरान रह जाते हैं। पत्रलेखा और सम्राट पूरे परिवार को यह बात बताते हैं कि वह दोनों अपने रिश्ते को एक और मौका दे रहे हैं। जिसे सुनकर पूरा परिवार खुश हो जाता है । इधर साई पत्रलेखा का खाना बांटने में मदद करती है तो पत्रलेखा खुशी खुशी उसे भी खाना खाने को कहती है। विराट पूरे परिवार को उसी समय अपने ट्रांसफर की बात बताता है। जिस पर पत्रलेखा उससे कहती है कि वह अपने और सम्राट के दूसरे सफर की शुरुआत एक गृह शांति पूजा और सत्यनारायण प्रभु की कथा से करना चाहती है। जिसमें वह चाहती है कि पूरा परिवार शामिल हो । तो विराट भी तब तक अपने ट्रांसफर को रोक ले । पर विराट कहता है कि ट्रांसफर आर्डर आ चुका है। उसे जाना होगा । इस पर साई सबको बताती है कि विराट ने अपना ट्रांसफर खुद ही करवाया है और साई विराट से कहती है कि वह उसकी वजह से अपना घर छोड़कर जा रहा है। सम्राट विराट से कहता है कि शायद वह सम्राट के कारण ही घर छोड़कर जा रहा है। विराट पूरे परिवार को यह बात क्लियर करता है। कि उसके घर छोड़कर जाने का फैसला उसका अपना है । इसमें साई या सम्राट किसी का कोई दोष नहीं । विराट अपना फैसला पूरे परिवार को सुना कर कहता है कि उसे अपने जाने की तैयारी करनी होगी। इधर पूरा परिवार विराट से रिक्वेस्ट करता है कि वह जन्माष्टमी तक रुक जाए । शिवा और जीव की जोड़ी को दही हांडी फोड़ते देख पूरे परिवार को खुशी होगी।
(Precap— आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे चौहान निवास में कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाया जाता है। बड़ी मम्मी कहती है जो बहू उन्हें सबसे पहले बाल गोपाल का दर्शन कराएगी वह उन्हें मोतियों का हार देंगी। इधर भगवान कृष्ण के मूर्ति से एक फूल टूटकर साई की गोद में गिर जाता है जिसे देखकर सब कहते हैं कि शायद भगवान साई की गोद भरने वाले हैं । मानसी बुआ साई को पूछती है यदि उसे विराट के लिए कोई फीलिंग नहीं है तो उसने विराट को जाने से क्यों रोका। विराट मानसी बुआ और साई की बातें सुन लेता है।)