दिव्यानी के कहने पर विराट उससे सहमत नहीं होता है और सही को घर छोड़कर ना जाने के लिए नहीं बोलता । पत्रलेखा यह देख कर खुश होती है । वह विराट को और सई की बुराई करने लगती है देवयानी पत्रलेखा से कहती है कि वह बहुत बुरी है पर विराट सई को रुकने के लिए नहीं कहता।
सई को मन ही मन दुख होता है कि वह बिना आई को बताए घर छोड़ कर जा रही है ।पर फिर वह सोचती है अगर आई को बता देगी । तो आई उसे ऐसा करने नहीं देगी इसलिए उसे बिना बताए ही जाना होगा वह आई को प्यार पर गले भी लगती है ।
पत्रलेखा सम्राट को महाबलेश्वर ले जाने को कहती है। इस पर सम्राट कहता है कि ठीक है वह पूरे परिवार के साथ जाएगा पत्रलेखा खुश हो जाती है। और सम्राट कहता है कि सबसे पहले तुम सई की छुट्टी के बारे में पता कर लो। उस की छुट्टियों के हिसाब से प्लान बनाएंगे । इससे पत्रलेखा को बहुत दुख होता है कि सब सही के बारे में ही की बात करते हैं।