सई पुलकित को बताती है कि वह कल घर छोड़ कर जा रही है। पुलकित उसे एक बार फिर से सोचने को कहता है । वह उसे बार बार समझाता है कि गडचिरोली से अच्छी पढ़ाई नागपुर में होती है। पर सई कहती है कि वह नागपुर में रहकर चौहान निवास के लोगों को परेशान नहीं करना चाहती। इसलिए वह नागपुर छोड़कर ही जा रही है।
दिव्यानी विराट को बताती है की सई घर छोड़कर जाने वाली है। विराट यह सुनकर बोलता है कि इसमें कोई नई बात नहीं है। अब मैं उसे कितनी बार समझा दूं उसे समझ में नहीं आता । मैं जबर्दस्ती तो उसे घर में बंद नहीं कर सकता।
पत्रलेखा विराट को भड़कती है कि सई ने कब पूरे घर वालों के बारे में सोचा है। जो अब सोचेगी उसकी तो शुरू से यह आदत रही है। देवयानी पत्रलेखा पर बहुत गुस्सा होती है ।और कहती है कि यह पत्रलेखा बहुत बुरी है ।और विराट तुम ऐसा करके पछताओगे।