बाबू जी ने दी अनुपमा को हिम्मत
खाने की टेबल बैठ सभी अनुपमा को नीचा दिखा रहे होते हैं। तभी बाबू जी सबको चुप कराकर अनुपमा से कहते हैं कि वो अपनी हिम्मत ना हारे। एक तो इस घर में ऑफिस का दमाद है और दूसरों को घर में ही रहना है। बाबू जी अनुपमा को दही खिलाते हैं और बैग देकर तैयार करते हैं। तभी बाबू जी आते हैं और अनुपमा को कार की चाबी देते हैं। ये देख सभी चौंक जाते हैं। बाबू जी अनुपमा कहते हैं कि वो कुछ गलत नहीं कर रही है।
घर से बाहर जाते हुए वो चुने की कौन सा रास्ता उसके लिए सही है। अनुज या घर का वो फैसला उसका ही होगा। अनुपमा जाते वक्त बाबू जी और बॉ का पांव छूती हैं। बॉ अनुपमा को आशीर्वाद नहीं देती है। काव्या कहती है कि वो उसके पैर छू ले। अनुपमा कहती है कि उसके मन में जवाब तो है लेकिन वो देकर वो टाइम वेस्ट नहीं करना चाहती है।
सपनों की ओर आगे बढ़ी अनुपमा
कई सवालों और परेशानी में घिरी अनुपमा घर से बाहर निकलती है। वो पहनने के लिए चप्पल निकालती है, लेकिन उसकी एक चप्पल टूटी होती है। अनुपमा दूसरी चप्पल लेकर गाड़ी की ओर जाती है। कार का दरवाज़ा खोलकर अनुपमा गाड़ी में बैठती है। अनुपमा को बाबू जी, किंचल, और समर बॉय कहते हैं। वहीं कार में बैठते ही अनुपमा की नज़र रसोई में पड़ती है। जहां बॉ खड़े होकर हाथ जोड़कर अनुपमा को बस करने को कहती है, लेकिन अनुपमा गाड़ी चलाकर निकल जाती है। जिसे देख बॉ हैरान हो जाती है।
अनुपमा को देख खुश हुआ अनुज
अनुज दफ्तर में अपने काम में व्यस्त होता है,लेकिन उसका ध्यान अनुमपा में ही होता है। अनुपमा अनुज के दफ्तर में पहुंचती हैं। वहां रिशेपनिस्ट आती है और अनुपमा से पूछती है कि उन्होंने मिलने के लिए अप्वाइंटमेंट लिया है। अनुपमा कहती है नहीं, रिशेपनिस्ट कहती है कि वो थोड़ा इंतजार करें वो अनुज कपाड़िया से पूछती है। अनुज खिड़की से अनुपमा को निहरता है और देख खुश हो जाता है। अनुज अनुपमा के पास जाता है और मिलता है। अनुज सोचता है कि अनुपमा आई तो है पर पता नहीं क्या जवाब होगा।
काव्या ने भरे अनुपमा के कान
अनुपमा के घर से जाते ही काव्या बॉ को भड़काने लगती है। काव्या बॉ से कहती है कि वो बेशक अब वो अनुपमा की सास नहीं है, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि वो अब आपकी हर बात को जूते की नोंक पर रखे। काव्या कहती है कि वैसे तो अनुपमा परिवार को लेकर इतनी बड़ी बातें करती हैं, लेकिन आज वो रैंप वॉक करते हुए निकल गई। काव्या की बातों को सुन बॉ चुप हो जाती है और सोचने लगती है।
अनुपमा की हां सुनकर हैरान हुआ अनुज
अनुपमा अनुज के ऑफिस में जाती है। अनुज अनुपमा से पूछता है कि उसने पार्टनशिप के बारें में क्या सोचा है? अनुपमा अनुज को बताती है कि कैसे तलाक के बाद के उसके पास बड़ों से लेकर छोटों तक की जिम्मेदारी आ गई थी। अनुपमा अनुज से कहती है कि वो पार्टनशिप के लिए हां कहती है, लेकिन अनुज को लगता है कि अनुपमा ना कहती है। तभी अनुज अनुपमा को मनाने लगता है। तभी अनुपमा बताती है कि उसने हां ही कहा है। ये सुनकर अनुज बहुत खुश हो जाता है। अनुपमा अनुज को कहती है कि उसे सारा काम सिखाना पड़ेगा, क्योंकि उसे कोई अंदाजा नहीं है। अनुज अनुपमा को फाइल देता है।
अनुज-अनुपमा के रिश्ते को लेकर भड़काया काव्या ने
वहीं दूसरी तरफ काव्या लगातार बॉ को भड़काती रहती है। काव्या कहती है कि घर में कोई भी अनुमपा को कुछ नहीं कह सकता है। लेकिन वो कह सकती है। काव्या कहती है कि उसे अनुज और अनुपमा के रिश्ते से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उन्हें इसी मोहल्ले में रहना है। काव्या बॉ को याद दिलाती है कि जब वनराज ने काव्या संग शादी की थी। तो कैसे लोगों ने क्या-क्या बातें कही थीं। लेकिन वनराज मर्द है और अनुपमा औरत है।
अनुज संग अनुपमा ने याद किए पुराने दिन
वहीं अनुज कहता है कि फाइल में गुजराती और हिंदी दोनों भाषा में लिखा है। जिसे देख अनुपमा खुश हो जाती है। तभी फाइल में से चुंबक निकलता है। ये देख अनुपमा अनुज को बताती है कि इस चुंबक से बहुत खेलती थी, लेकिन एक दिन वो खो गया था। अनुज कहता है कि उसे चाहिए तो वो ये रख लें। अनुपमा बताती है कि ये उससे खो जाएगा। अनुज कहता है कि उससे नहीं खोता है। क्योंकि वो पुरानी चीज़ों को ध्यान से रखता है।
पार्टनर बनने से पहले अनुपमा की सारी बात साफ
अनुपमा अनुज संग काम शुरु करने से पहले अपनी दिल की बात भी कह देती है। अनुपमा अनुज से कहती है कि वो जानती है कि कॉलेज में उसके दिल में कुछ था। लेकिन अब वो किसी की पत्नी, मां, और सास है। अनुपमा कहती है कि वो उसके साथ वैसा ही बर्ताव करे जैसे वो सबके साथ करता है। अनुज को अनुपमा का ये अंदाज काफी पसंद आता है और वो उससे वादा करता है कि उसकी वजह से उसे कभी भी कोई दिक्कत नहीं होगी।
अनुज-अनुपमा के रिश्ते को काव्या ने बताया पाप
वहीं दूसरी ओर काव्या बॉ को कहती है कि मर्द अगर ऐसी गलतियां करते हैं तो उसे गलती कहते हैं। वहीं अगर औरत ऐसी गलती करते हैं। तो उसे पाप कहते हैं। काव्या अपनी बातों को कहकर निकल जाती है। गुस्से में झूले पर बैठी बॉ डिब्बे को गिरा देती है।
( Precap– काका अनुज से अनुपमा के परिवार को घर बुलाकर गणेश उत्सव मनाने को कहते हैं, लेकिन वनराज पूरे परिवार को मना कर देता है। काव्या वनराज को समझाती है कि अगर गुस्सा निकलना है तो अनुपमा पर निकाले अनुज से दुश्मनी ना मोल ले। वहीं अनुज काका को बताता है कि वनराज को या तो अनुपमा के आगे बढ़ने से दिक्कत है या उन दोनों के साथ काम करने से। अनुज काका से कहता है कि अगर कभी अनुपमा अपने कुछ नहीं कर पाई तो वो खुद को रोक नहीं पाएगा। )