भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) के वाणिज्यिक और विपणन निदेशक पीयूष तिवारी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, ‘‘आय के स्तर में वृद्धि, बेहतर बुनियादी ढांचे, बेहतर साधन संचार और यात्रा में आसानी ने भारत में पर्यटन को बढ़ावा दिया है। आज, पर्यटन और आतिथ्य सेवा देश के शीर्ष 10 सबसे बड़े सेवा उद्योगों में से एक है।’’
आईटीडीसी के निदेशक ने कहा, ‘‘भारत ने पिछले वर्ष पर्यटन क्षेत्र में अपनी रैंकिंग में बड़ी प्रगति की है। यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (टीटीसीआई), 2015 में भारत का स्थान 52वां था जबकि 2017 की टीटीसीआई रिपोर्ट में भारत को 40वां स्थान दिया गया है। 2013 में भारत का स्थान 65 और 2011 में 68 था।’’
साल 2017 को पर्यटन क्षेत्र में सबसे सफल वर्ष करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2016-17 में पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले लगभग 6.32 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जिसके फलस्वरूप इस साल आईटीडीसी का कुल कारोबार 495.14 करोड़ रुपये का रहा।’’
पर्यटन क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘हाल ही में, सरकार ने पर्यटन को भारतीय अर्थव्यवस्था का एक स्तंभ बनाने के लिए पिछले तीन सालों में कई निर्णायक कदम उठाए हैं। जिनमें 161 देशों से आने वाले आगंतुकों को वीजा जारी करने की योजनाएं, उड़ान क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को लागू करना, हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 10 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में 24 घंटे सातों दिन टोल फ्री बहुभाषी जानकारी मुहैया कराना, डिजिटल भुगतान के लिए प्रोत्साहन और बुनियादी ढांचे पर
ध्यान केंद्रित करना शामिल है। इन कदमों ने यात्रा और पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने का
काम किया है और देश के समग्र आर्थिक विकास में वृद्धि को बढ़ावा दिया है।’’
बदलते वक्त में युवाओं की पर्यटन के क्षेत्र में भागीदारी के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान युवा पीढ़ी की पर्यटन परि²श्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका है और उनकी भागीदारी पर्यटन को हर तरीके से बढ़ा सकती है। वास्तव में युवा पीढ़ी की क्षमता को जानते हुए प्रधानमंत्री लोगों को देश को जानने और विविधता को समझने के लिए अपनी ‘मान की बात’ रेडियो कार्यक्रम में प्ररित कर चुके हैं। ’’
आईटीडीसी के निदेशक ने कहा, ‘‘भारत में सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन स्मारकों का एक असाधारण, विशाल और विविध समंदर है। देश में पुरातात्विक स्थलों के रूप और अवशेषों में भारतीय विरासत अद्भुत है और यह तथ्य कि ये स्मारक जीवित रहने की यादें हैं, हजारों सालों के स्वर्णकालीन ऐतिहासिक युग और स्वतंत्रता-पूर्व लड़ाई के गवाह हैं। देश के नागरिकों की आंखों में इनके लिए एक विशेष सम्मान होना चाहिए। ये स्मारक साहस, विकास और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का प्रतीक हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सामान्य तौर पर सरकार द्वारा भारत के नागरिक और विशेषकर छात्रों के बीच जागरूकता फैलाने और विरासत के संरक्षण के बारे में विज्ञापन देकर कई सेमिनार हर साल आयोजित किए जाते हैं, जहां छात्रों को न केवल बुनियादी कदमों के बारे में बताया जाता है बल्कि लोगों को सक्रिय भागीदारी के बारे में प्रोत्साहित किया जाता है। सम्मेलनों में यह बताया जाता है कि देश के नागरिक होने के नाते हमारे स्मारकों की रक्षा के लिए हम जिम्मेदार हैं।’’
तिवारी ने कहा, ‘‘हमें स्मारकों को संरक्षित रखने और अपनी आनी वाली पीढ़ी को दिखाने की जरूरत है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति के विकास में क्या योगदान दिया। हमारी ओर से किया गया थोड़ा प्रयास एक बड़ा बदलाव ला सकता है जो देश के अतीत, वर्तमान और भविष्य की पीढिय़ों को बना सकता है ताकि विश्व को भारत पर गर्व हो सके।’’
आईटीडीसी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘संगठन आतिथ्य और पर्यटन उद्योग में अपनी स्थापना के समय से अग्रणी रहा है। देश की सरकारी नीतियों और आर्थिक परिवर्तन के साथ साथ समय अंतराल पर आईटीडीसी ने खुद को विभिन्न परि²श्यों में साबित किया है, चाहे वो आतिथ्य सत्कार की बात हो या फिर पर्यटन क्षेत्र में भागीदारी की।’’