पांच सौ सालों की गौरव गाथा खुद में समेटे हुए है मेहरानगढ़। पहाड़ी पर सीना ताने खड़ा ये ऐतिहासिक किला जोधपुर शहर का गौरव है। इस बार सैर इस किले की…
•Jan 13, 2018 / 09:27 pm•
युवराज सिंह
जोधपुर शहर की शान कहा गया है यहां के मेहरानगढ़ किले को। जोधपुर शहरवासियों को अपने ऐतिहासिक किले पर नाज है। शहर के हर कोण से नजर आने वाला ये शानदार किला यहां एक 120 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर बना हुआ है। यह किला दिल्ली के कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर से भी ऊंचा है। किले के परिसर में चामुंडा देवी का मंदिर भी है, माना जाता है कि ये माता यहां से अपने शहर और यहां के वाशिंदों की निगरानी रखती हैं।
इस किले के दीवारों की परिधि 10 किलोमीटर तक फैली है। इनकी ऊंचाई 20 फुट से 120 फुुट तथा चौड़ाई 12 फुट से 70 फुट तक है। इसके परकोटे में दुर्गम रास्तों वाले सात आरक्षित दुर्ग बने हुए थे। घुमावदार सडक़ों से जुड़े इस किले के चार द्वार हैं। किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजे, जालीदार खिड़कियां हैं। जोधपुर शासक राव जोधा ने 12 मई 1459 को इस किले की नींव डाली और महाराज जसवंत सिंह 1638.78 ने इसे प्राप्त किया। इस किले का इतिहास 500 साल पुराना है।
किले से दिखता है पाकिस्तान-1965 में भारत-पाक के युद्ध में सबसे पहले मेहरानगढ़ के किले को टारगेट किया गया था, लेकिन माना जाता है कि माता की कृपा से यहां किसी का बाल भी बांका नहीं हुआ। यहां किले की चोटी से पाकिस्तान की सीमा दिखती है।
कैसे पहुंचे-जोधपुर देश के हर हिस्से से कनेक्टेड है यहां आप जयपुर से सीधे फ्लाइट से पहुंच सकते हैं। वहीं ट्रेन से जाने के लिए जोधपुर स्टेशन से ट्रेन सभी मुख्य शहरों के लिए टैक्सी या बस मिल जाएगी। आप यहां बस से भी पहुंच सकते हैं नई दिल्ली और आगरा से जयपुर के लिए कई सीधी बसें मिलती हैं। दिल्ली और आगरा के बीच का यह सडक़ मार्ग गोल्डन ट्रैवल क्षेत्र का हिस्सा है।
घूमने के लिए बेस्ट टाइम: अक्टूबर से मार्च.....कहां ठहरें: आपको यहां कई होटल, रिसोॅर्ट मिल जाएंगे। इसके अलावा अगर आपका बजट थोड़ा कम है तो यहां धर्मशालाएं भी बनाई गई हैं।
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