read more: यूपी में मॉब लिंचिंग का शिकार हुए युवक का शव पहुंचा गांव तो मच गया कोहराम, परिवार का रो-रोकर बुरा हाल इसका कारण है कि छत से प्लास्टर गिरता रहता है। गत दिनों शुरू हुई बरसात के बाद कई बार छत से प्लास्टर गिर चुका है। ऐसे में केमिकल तथा दवाइयां खराब हो चुकी है। लगातार गिरते प्लास्टर से कर्मचारी भय के साए में काम कर रहे हैं। जबकि ये जिले का एक मात्र क्षय रोग अस्पताल है।
read more:video: तीन कमरों में संचालित महाविद्यालय, अव्यवस्थाओं से नाराज विद्यार्थियों ने जाम किया प्रदर्शन यहां प्रति दिन आउट डोर 40 से 50 के बीच रहता है। ऐसे में यहां रोगियों की जांच करने वाले चिकित्साकर्मियों को भी डर सताता रहता है। इस अस्पताल में जिलेभर के रोगी जांच के लिए आते हैं।
ऐसा कक्ष नहीं जो टपकता ना हो
क्षय रोग चिकित्सालय का भवन 1996 में बना था। चिकित्सालय का एक भी एक कक्ष ऐसा नहीं है जो टपकता नहीं हो। कारण है कि छत निर्माण के दौरान मापदंडों को दरकिनार किया गया। ऐसे में प्लास्टर गिर रहा है।
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शुरू भी नहीं हुई कि जंग लग गया
अस्पताल में करीब 12 लाख रुपए की एक्सरे मशीन आए सालभर होने वाला है। ये मशीन तकनीकी कमी के चलते अब तक शुरू नहीं हुई पाई है, लेकिन बरसात के गिरते पानी के चलते ये मशीन जंग खा चुकी है। अब इसे चलाने में परेशानी होगी। अंदर से उपकरण खराब हो चुके हैं। ये चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी का आलम है।
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अस्पताल में करीब 12 लाख रुपए की एक्सरे मशीन आए सालभर होने वाला है। ये मशीन तकनीकी कमी के चलते अब तक शुरू नहीं हुई पाई है, लेकिन बरसात के गिरते पानी के चलते ये मशीन जंग खा चुकी है। अब इसे चलाने में परेशानी होगी। अंदर से उपकरण खराब हो चुके हैं। ये चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी का आलम है।