8 सार्वजनिक नल स्थापित ग्रामीणों ने बताया कि एक दशक पहले बीसलपुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत जैकमाबाद को लाम्बा स्थित पेयजल टंकी से जोड़ा गया तथा आपूर्ति को लेकर गांव में 8 सार्वजनिक नल स्थापित किए। लेकिन लाम्बा पेयजल टंकी से गांव का भू स्तर (लेवल) अधिक होने तथा मध्य स्थित गेदिया, रायङ्क्षसहपुरा गांव में एक साथ जलापूर्ति के बीच ऊंचाई पर स्थित जैकमाबाद के सभी सार्वजनिक नलों में पानी नहीं पहुंच पाया।
ग्रामीण आज भी संघर्ष की स्थिति में गांव के लोग जैकमाबाद में जलापूर्ति को लेकर गणेता मोड स्थित पेयजल टंकी से जोडऩे की मांग करते आए है। इसके बाद विभागीय अधिकारियों ने समस्या को गंभीरता से लेते हुए लाम्बाकलां के साथ रायङ्क्षसहपुरा व गेदिया में सुबह तथा जैकमाबाद में शाम को जलापूर्ति का निर्णय लिया गया। साथ ही जैकमाबाद की तलहटी में नया पाइंट स्थापित किया गया। लेकिन पिछले चार वर्षों से जलापूर्ति शुरू हुई, लेकिन ग्रामीणों को संघर्ष की स्थिति में पानी उपलब्ध होने लगा। उक्त समस्या को लेकर ग्रामीण आज भी संघर्ष की स्थिति में है।
एक पाइंट, आधा घण्टा आपूर्ति और ढाई सौ की आबादी जैकमाबाद निवासी शंकरलाल मीणा, रतनलाल खटीक, गोपाल खटीक, रामलाल पंवार समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि जैकमाबाद में विभिन्न समुदाय परिवारों में करीब ढाई सौ की आबादी है। जहां विभाग के तहत जलापूर्ति को लेकर एक पाइंट (पीएसपी) स्थापित किया गया। लेकिन ग्रामीणों के लिए सबसे विकट समस्या है कि एक पाइंट पर होने वाली एक घण्टे जलापूर्ति में पीने का पानी भरा जाए। ग्रामीणों ने कई बार विभाग को अवगत कराया ज्ञापन सौंपा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। गत दिनों भीषण गर्मी के बीच पर्याप्त जलापूर्ति नहीं होने से ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को तरस रहे है।
यह बोले ग्रामीण
&ग्रामीणों को जलजीवन मिशन का लाभ नहीं मिला है। घर-घर नल कनेक्शन तो दूर मोहल्लों में जलापूर्ति नहीं होने से ग्रामीणों को सार्वजनिक एक नल पर संघर्ष करना पड़ रहा है।
शब्बीर मोहम्मद, ग्रामीण
&ग्रामीणों को जलजीवन मिशन का लाभ नहीं मिला है। घर-घर नल कनेक्शन तो दूर मोहल्लों में जलापूर्ति नहीं होने से ग्रामीणों को सार्वजनिक एक नल पर संघर्ष करना पड़ रहा है।
शब्बीर मोहम्मद, ग्रामीण
ढाई सौ की आबादी वाले जैकमाबाद के लोग एक नल पर आश्रित है। आधा से एक घण्टे जलापूर्ति में पर्याप्त पानी मिलना मुश्किल है। लोगों को आए दिन पानी को लेकर झगड़े की स्थिति से गुजरना पड़ता है।
मनीष चौधरी, ग्रामीण