टोंक

कलक्टर ने लिखा ‘लेटर’, बताया ऐसे ‘जिन्न’ के बारे में, जिससे छुटकारे का कोई इलाज नहीं है

आधुनिक युग ने जहां दूरिया घटाई हैं, वहीं हाथ से कलम भी छीन ली है। हाथ से कलम की दूरी को कम करने के लिए टोंक के जिला कलक्टर के. के. शर्मा ( Tonk Collector K. K. Sharma ) ने पाती लिखने की शुरुआत की है।

टोंकFeb 08, 2020 / 04:50 pm

abdul bari

Tonk collector’s letter to public Collector’s letter on social affairs

टोंक
आधुनिक युग ने जहां दूरिया घटाई हैं, वहीं हाथ से कलम भी छीन ली है। हाथ से कलम की दूरी को कम करने के लिए टोंक के जिला कलक्टर के. के. शर्मा ( Tonk Collector K. K. Sharma ) ने पाती लिखने की शुरुआत की है। उन्होंने दिल की बात साझा करने के लिए हाथों से लिखी पाती को माध्यम बनाया है। इसके लिए जिला कलक्टर के. के. शर्मा ने अपनी पाती लिखी भी है। वे इसमें लिखते हैं कि आज पर्यावरण प्रदूषण ( environmental pollution ) एक गम्भीर चिन्ता बन चुका है, जिससे प्रत्येक जीव जन्तु अछूता नहीं है। फिर चाहे गांव हो या शहर, मनुष्य हो या पशु और तो और हमारी धरती मां, नदी, पहाड़, सागर सभी इससे त्रस्त हैं।
उन्होंने लिखा कि मैं बात कर रहा हूं पॉलीथिन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक ( Single use plastic ) की जो सैकड़ों सालों तक नष्ट नहीं होता, जिसे न तो आग में जलाकर नष्ट कर सकते, न जमीन में गाड़ कर सदा के लिए अस्तित्व मिटा सकते और न ही बहते पानी के साथ बहाकर सदा के लिए छुटकारा पा सकते हैं। यह एक ऐसा जिन्न है, जिससे छुटकारा पाने का कोई इलाज ही नहीं है। आज हम सबके जीवन में इसने तेजी से पांव पसार लिए हैं। एक तरह से हम इसके आदी हो चुके हैं, नतीजा सामने है।

जिला कलक्टर के.के.शर्मा ने जिले के सभी विद्यालयों के कक्षा 8 से 12वीं तक के विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों तक यह पाती पहुंचाई है। साथ ही मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूलों में प्रार्थना सभा में इसका वाचन कराए जाने के निर्देश दिए हैं। ताकि अधिक से अधिक बच्चों में पॉलीथिन, सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग ना करके पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ भारत मिशन एवं महिलाओं में घूघंट से मुक्ति जैसे मुद्दों व मूल्यों को लेकर जागृति उत्पन्न की जा सके।

उन्होंने लिखा कि इस पाती के माध्यम से कुछ और कहना चाहता हूं। आप जानते ही हैं कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर शौचालय बन चुके हैं। कहते हुए अफसोस भी हो रहा है कि शौचालय बनने के बाद भी कुछ लोग उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। शौचालय का इस्तेमाल करना न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से नुकसान देह ही नहीं है अपितु खुले में शौच करने के कई नुकसान हैं। हमारे देश में पौराणिक काल से ही नारी को विशेष दर्जा दिया गया है, लेकिन आजादी के 72 साल बाद भी जब मां-बहनों को घूंघट में देखता हूं, तो सोचने लगता हूं कि आखिर हमारी मां-बहनों ने ऐसा क्या किया जो घूंघट में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। आइए हम सभी संकल्प लें कि महिलाएं घूंघट से बाहर आकर अपनी एक नई पहचान बनाएं।

मुझे उम्मीद है कि पहली पाती के माध्यम से जिन तीन महत्वपूर्ण मुद्दों (सिंगल यूज प्लास्टिक, पॉलीथिन को तौबा, खुले में शौच न करने का संकल्प एवं महिलाओं को घूंघट त्यागने के लिए प्रेरित करना) पर आपसे सहयोग मांगा गया है। इन सब पर अमल करने से आने वाले दिनों में हमारा अपना जिला एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा और हमें अपने गांव, शहर, जिले पर गर्व होगा।

जिला कलक्टर के. के. शर्मा ने बताया कि लेखन पाती पहले जिले की कक्षा 8 से 12वीं तक की स्कूल में जाएगी। जहां प्रति दिन प्रार्थना सभा में ये पत्र सुनाया जाएगा। इस संदेश को स्कूलों के करीब 70 हजार विद्यार्थी अपने अभिभावकों तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि जिले का कोई भी किसी भी नवाचार तथा कुरीतियों के लिए मुझे पत्र लिख सकता है। जिले का प्रशासनिक कार्य होने के चलते समय कम रहता है, लेकिन फिर सभी पाती का जवाब दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पाती लिखने की प्रेरणा टोडारायसिंह उपखण्ड अधिकारी डॉ. सूरजसिंह नेगी से मिली है। वे लोगों से पत्र के माध्यम से संवाद करते हैं। स्कूलों में भी कई कार्यक्रम आयोजित कराते हैं। ऐसे में पाती लिखना शुरू किया है।
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