सरकार को राजस्व का फायदा
कृषि मंडी में किसानों की आवाजाही तथा वाहनों से मेले जैसा माहौल बना हुआ है। कृषि मंडी के व्यापारी और आढतिये बाजरे की बोली लगते ही तुरंत तुलाई करवाकर किसानों को जिंसों का भुगतान कर रहे है। कृषि मंडी सचिव डॉ.कमल किशोर सोनी ने बताया कि बाजरे की आवक से मंडी टैक्स में इजाफा हो रहा है और राज्य सरकार को राजस्व मिल रहा है। उन्होंने बताया कि बाजरा बौंली, भाडौती, मित्रपुरा, लावा, पीपलू, झिराना, बगडी, सोहेला, मोटूका, दत्तवास, करेडा बुजुर्ग, चनानी, राहोली, कौथून, भुरटिया सहित विभिन्न गांवों से लगातार कृषि मंडी में बाजरे की आवक हो रही है। यह भी पढ़ें
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लगातार बढ़ रही मांग
मंडी व्यापारी व ग्रेडिंग प्लांट मालिक मुकेश टोडवाल ने बताया कि कृषि मंडी से बाजरा खरीदकर उसकी ग्रेडिंग करवाई जाती है और ग्रेडिंग के अनुरूप 50 किलो भरती के कट्टों की पैकिंग करवाकर गुजरात में बाजरा बेचा जा रहा है। गुजरात में ग्रेडिंग का बाजरा बिकता है। हरियाणा और पंजाब में बिना ग्रेडिंग का बाजारा बिकता है। गुजरात, पंजाब और हरियाणा राज्य से बाजरे की बहुत मांग है लेकिन कृषि मंडी बाजरे की इतनी आवक नहीं है।
पशु आहार बनाने में भी आता है काम
सत्यनारायण अग्रवाल का कहना है कि इस प्रकार कृषि मंडी में पिछले वर्ष की अपेक्षा बाजरे की आवक कम ही हो रही है। लेकिन बाजरे की गुणवत्ता भी पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष थोड़ी कमजोर है। इन दिनों बाजरे की करीब पांच हजार कट्टों की आवक हो रही है। तथा बाजरा बोली पर क्वालिटी के हिसाब से 2375 रूपए से 2450 रुपए तक बिक रहा है। यहां का बाजरा खाने के साथ साथ पशु आहार तथा मुर्गी दाना बनाने के काम आता है। मंडी व्यापारी नितेश खण्डेवाल ने बताया कि कृषि उपज मंडी निवाई का बाजरा गुजरात, हरियाणा और पंजाब राज्य में बहुत मांग है। यहां से प्रत्येक सीजन में बाजरे के ट्रक तीनों राज्यों में जाते है। बाजरे के सीजन शुरू होने से पहले ही वहां के व्यापारी अपनी डिमांड मंडी व्यापारियों को बता देते है जिसके अनुरूप बाजरे की खरीद की जाती है।