सचिन पायलट ने बताया, “रतन जी ने मुझे अपने घर बुलाया और मेरे लिए अपना आंगन खोला। उनके परिवार ने बड़े प्रेम और आतिथ्य के साथ भोजन तैयार किया। सरसों की मिर्ची वाली सब्जी, घर की बनी रोटी और उनका आत्मीय स्वभाव मेरे लिए बहुत खास रहा। यह मेरे जीवन का सौभाग्य है कि मुझे इस तरह का अनुभव मिला।”
गांववासियों के साथ बिताए इस समय को पायलट ने बेहद यादगार बताया। उन्होंने कहा कि रतन बैरवा और उनके परिवार ने जिस प्रकार से उनका स्वागत किया, वह सादगी और आत्मीयता का परिचायक है। खास बात यह थी कि रात्रि भोज में स्थानीय स्वाद और पारंपरिक व्यंजन परोसे गए, जिसमें सरसों की चटपटी सब्जी और ताजी रोटी शामिल थीं।
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हिन्दुओं ने भरी हुंकार, बंद रहे भीलवाड़ा के बाजार सचिन पायलट ने अपने वक्तव्य में इस अनुभव को आत्मीयता से भरा हुआ बताया। उन्होंने कहा, “भोजन इतना स्वादिष्ट था कि मैंने कुछ ज्यादा ही खा लिया। उनके आत्म-विश्वास और प्रेम की जितनी सराहना की जाए, कम है। उनका आतिथ्य मेरे लिए प्रेरणादायक है।” गांव में इस तरह के ठहराव से न केवल पायलट ने ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित किया, बल्कि यह उनके लिए अपने राजनीतिक दायित्वों को आत्मीयता और व्यक्तिगत जुड़ाव के साथ निभाने का एक उदाहरण भी बना। स्थानीय निवासियों के साथ बैठकर उनके सुख-दुख को साझा करना और उनकी जीवनशैली को समझना, एक प्रभावशाली नेता के गुणों को उजागर करता है।
सचिन पायलट के इस साधारण परंतु गहरे अनुभव ने ग्रामीणों में भी उत्साह भर दिया। रतन बैरवा के परिवार ने कहा, “हमारे लिए यह गर्व की बात है कि सचिन जी ने हमारे घर को चुना। उनका सादगी भरा व्यवहार और विनम्रता हमें हमेशा याद रहेगी।”