उपसरपंच सहित ग्रामीणों की ओर से बिना प्रशासन की मदद उठाए कदम की पंचायत प्रशासन सहित कस्बेवासी सराहना करते नहीं थक रहे है। सरपंच राजावत ने बताया की तीन दिन से चल रही बारिस के बाद करीब पन्द्रह साल से रीति पड़ी विजयगढ़ स्थित गडूलिया नाड़ी लबालब होकर हिलोरे खाने लगी, इसी दौरान पानी के कटाव के कारण नाड़ी की पाळ क्षतिग्रस्त होकर उसमें गहरा गड्ढ़ा हो गया।
पाळ क्षतिग्रस्त होने की सूचना पर जेसीबी, ट्रैक्टर-ट्रॉली चालकों को क्षतिग्रस्त पाळ की मरम्मत के लिए बुलाया मगर मार्ग नहीं होने एवं मरम्मत के दौरान जान-माल का खतरा होने पर एक-एककर सभी खिसक लिए।
आपात समय में नाड़ी की पाळ को टूटने से बचाने को लेकर पंचायत के उपसरपंच छगनलाल माली सहित उनके साथी राजू, रामकिशन, भगवान, रीतिक, राधेश्याम एवं रणजीत ने पाळ की मरम्मत का बीड़ा उठाया ओर तगारी-फावड़े लेकर नाड़ी पहुंचे ओर कई घंटों तक आस-पास से मिट्टी लेकर प्लास्टिक बेग भरकर पाळ में हुए गहरे गड्ढ़े में डाले, इसके बाद फावड़ों से उक्त गहरें गड्ढ़े में मिट्टी भरकर पाळ सुरक्षित होने पर रात ग्यारह बजे घरों को लौटे। इधर, उपसरपंच एवं उनके साथियों की ओर से किए नेक कार्य की पंचायत प्रशासन सहित कस्बेवासी तारीफ करते नहीं थक रहे थे।
जान-माल की हानि से बचाया
पन्द्रह सालों के बाद लबालब हुई विजयगढ़ की गडूलिया नाडी में पानी से कटाव हो गया ओर पाळ क्षतिग्रस्त हो गई, मौके पर जेसीबी सहित वाहन जाने का मार्ग नहीं होने पर उपसरपंच छगनलाल माली सहित साथियों ने हिम्मत दिखाकर कई घंटों की मेहनत कर पसीना बहाकर पाळ की मरम्मत कर गांव सहित क्षेत्र को जान-माल की हानि से बचा लिया। अगर नाड़ी की पाळ टूटती तो कोहराम मच जाता। पंचायचत प्रशासन सहित ग्रामीणों की ओर से आगामी दिनों आयोजित समारोह में उनका स्वागत किया जाएगा।
-श्यामसिंह राजावत सरपंच, बंथली