पुलिस और संस्कृति विभाग के बीच करीब चार साल साल से चल रहा सुरक्षा के बदले किए जाने वाले रिएम्बर्समेंट भुगतान का मामला नहीं सुलझ पा रहा है। गृह विभाग के मांगने पर हाल ही में एसपी टोंक ने वस्तुस्थिति की जानकारी पुलिस मुख्यालय को दी है।
हजारों की तादाद में प्राचीन ग्रंथ, शोध पत्र, आदेश और पुस्तकों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने विख्यात मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान में एक जून 1992 से पुलिस गार्ड उपलब्ध कराई थी।
जो अब तक जारी है। सूत्रों के मुताबिक 19 मार्च 2014 को संस्थान ने पुलिस सुरक्षा गार्ड के पेटे 28 लाख आठ हजार 60 रुपए जमा कराए थे। इसके बाद संस्थान की ओर से पुलिस गार्ड की राशि जमा नहीं कराई गई है।
वर्तमान में मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान में एक हैडकांस्टेबल व चार कांस्टेबल की गार्ड उपलब्ध है।
5 साल से चल रहा है पत्राचार
गत दिनों महालेखाकार जयपुर ने जब रिपोर्ट बनाई तो 31 दिसम्बर 2018 तक मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान में सुरक्षा बतौर दो करोड़ 89 लाख 17 हजार 284 रुपए जमा होना बकाया निकला।
5 साल से चल रहा है पत्राचार
गत दिनों महालेखाकार जयपुर ने जब रिपोर्ट बनाई तो 31 दिसम्बर 2018 तक मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान में सुरक्षा बतौर दो करोड़ 89 लाख 17 हजार 284 रुपए जमा होना बकाया निकला।
शासन उप सचिव कला साहित्य संस्कृति ने 23 मार्च 2015 को शोध संस्थान को सुरक्षाकर्मी नियुक्त करने तक पुलिस सुरक्षा लेने के लिए पत्र लिखा। साथ ही संस्थान को सुरक्षा गार्ड के लिए पुलिस की सहमति बताते हुए राशि का भुगतान करने से मना कर दिया।
इस बीच पुलिस अधीक्षक टोंक ने पुलिस मुख्यालय को राज्य सरकार को सुरक्षा गार्ड का बकाया भुगतान करवाने के लिए पत्र लिखा। इस पर गृह विभाग की ओर से 19 मार्च 2020 को पूरे मामले की वस्तु स्थिति मांगी और कला संस्कृति के आदेश की कॉपी भी मांगी।
जवाब में फिर पुलिस मुख्यालय ने सुरक्षा गार्ड के बकाया भुगतान की मांग करते हुए गृह विभाग से दखल की मांग की है।
खींचतान में हट ना जाए सुरक्षा
मौलाना अबुल कलाम आजाद विश्वविख्यात है। यहां देश-विदेश से शोधार्थी आते रहते हैं। कई लोग तो यहां दुलर्भ गं्रथों को देखने आते हैं।
खींचतान में हट ना जाए सुरक्षा
मौलाना अबुल कलाम आजाद विश्वविख्यात है। यहां देश-विदेश से शोधार्थी आते रहते हैं। कई लोग तो यहां दुलर्भ गं्रथों को देखने आते हैं।
साथ ही विश्व की सबसे बड़ी कुरआन को देखने ेके लिए भी देशभर से लोग आते हैं। ऐसे में संस्थान में सुरक्षाकर्मी जरूरी है, लेकिन पुलिस और संस्कृति विभाग के बीच सुरक्षा के भुगतान को लेकर खींचतान में सुरक्षा हटने का खतरा भी बना हुआ है।
अनमोल अभिलेख है मौजूद
टोंक स्थित मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान एक लाख 26 हजार स्क्वायर फीट क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
वर्तमान में संस्थान में संधारित इल्मी धरोहर में 8053 दुर्लभ हस्तलिखित ग्रंथ, 27 हजार 795 मुद्रित पुस्तकें, 90 हजार 239 कदीम रसाइल, 674 फरामीन एवं पूर्व टोंक रियासत के 65 हजार शरीयत फैसलों की पत्रावलियों के अलावा हजारों अनमोल अभिलेख, प्रमाण पत्रए तुगरे और वसलियां मौजूद है। राज्य सरकार ने 1978 में स्वतंत्र निदेशालय बनाया तथा 1989 में इसे मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान का नाम दिया।
फाइल देखूंगा
मैंने अभी हाल ही में ज्वॉइन किया है। पहले पुलिस अधीक्षक आर्दश सिधू ने पत्र लिखा है। मैं एपीआरआई की सुरक्षा बतौर भुगतान की फाइल देखूंगा।
– ओमप्रकाश, पुलिस अधीक्षक टोंक