तू मेरे तन की तनया है।
तेरे रोम-रोम मे खुशबू है मेरी। तू तनय से भी तेज तर्रार है।
पर समाज मे तेरे मान की रार है। अब तू बदला,बदला है समय।
समय के साथ तू भी हो निर्भय।
तेरे रोम-रोम मे खुशबू है मेरी। तू तनय से भी तेज तर्रार है।
पर समाज मे तेरे मान की रार है। अब तू बदला,बदला है समय।
समय के साथ तू भी हो निर्भय।
तुझे हर प्रण प्रतिज्ञा को, जिद और हट से पुरी
करनी है। कम मत होने देना आत्मविश्वास को,
कदम-कदम पर साथ रहेगा तेरे विश्वास
को। तुझे हर भूमिका में
बेटी बहु माता की।
हटाना है सामाजिक बेडयि़ों की बाधा को।
करनी है। कम मत होने देना आत्मविश्वास को,
कदम-कदम पर साथ रहेगा तेरे विश्वास
को। तुझे हर भूमिका में
बेटी बहु माता की।
हटाना है सामाजिक बेडयि़ों की बाधा को।
आ पकड़ ले,हाथ रब का कसकर।
कितने ही झंझावात आए, तेरे सामने भंयकर। पर हमेशा डटी रहना,बांधे सिर पर सेरा
सबका जर्रा जर्रा कह उठे,वाह वाह तेरा सेरा। घर, सुसराल सब में तनया तेरा ही हो बासा।
ऐसी मेरी तन मन की अभिलाषा।
कितने ही झंझावात आए, तेरे सामने भंयकर। पर हमेशा डटी रहना,बांधे सिर पर सेरा
सबका जर्रा जर्रा कह उठे,वाह वाह तेरा सेरा। घर, सुसराल सब में तनया तेरा ही हो बासा।
ऐसी मेरी तन मन की अभिलाषा।
मेरे तन की तनया है।
तेरे रोम-रोम मे खुशबू है मेरी। तू तनय से भी तेज तर्रार है।
पर समाज मे तेरे मान की रार है। अब तू बदला,बदला है समय।
समय के साथ तू भी हो निर्भय।
तेरे रोम-रोम मे खुशबू है मेरी। तू तनय से भी तेज तर्रार है।
पर समाज मे तेरे मान की रार है। अब तू बदला,बदला है समय।
समय के साथ तू भी हो निर्भय।
तुझे हर प्रण प्रतिज्ञा को, जिद और हट से पुरी
करनी है। कम मत होने देना आत्मविश्वास को,
कदम-कदम पर साथ रहेगा तेरे विश्वास
को। तुझे हर भूमिका में
बेटी बहु माता की।
हटाना है सामाजिक बेडयि़ों की बाधा को।
करनी है। कम मत होने देना आत्मविश्वास को,
कदम-कदम पर साथ रहेगा तेरे विश्वास
को। तुझे हर भूमिका में
बेटी बहु माता की।
हटाना है सामाजिक बेडयि़ों की बाधा को।
आ पकड़ ले,हाथ रब का कसकर।
कितने ही झंझावात आए, तेरे सामने भंयकर। पर हमेशा डटी रहना,बांधे सिर पर सेरा
सबका जर्रा जर्रा कह उठे,वाह वाह तेरा सेरा। घर, सुसराल सब में तनया तेरा ही हो बासा।
ऐसी मेरी तन मन की अभिलाषा।
कितने ही झंझावात आए, तेरे सामने भंयकर। पर हमेशा डटी रहना,बांधे सिर पर सेरा
सबका जर्रा जर्रा कह उठे,वाह वाह तेरा सेरा। घर, सुसराल सब में तनया तेरा ही हो बासा।
ऐसी मेरी तन मन की अभिलाषा।
कवि हंसराज हंस , राजकीय अध्यापक
निवासी ग्राम पंचायत बनेठा, टोंक।
निवासी ग्राम पंचायत बनेठा, टोंक।