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10 साल की उम्र में हुई शादी, 15 साल की उम्र में भेज रहे थे ससुराल तो लड़की ने उठाया परिवार वालों के खिलाफ ऐसा कदम

प्रदेश में प्रशासन के लाख दावों के बावजूद चोरी-छिपे बाल विवाह होते हैं। ऐसा ही एक मामला पीपलू क्षेत्र में सामने आया है, जहां एक गांव की नाबालिग की वर्ष 2020 में 10 वर्ष 9 माह की उम्र में ही विवाह कर दिया।

टोंकJun 06, 2024 / 03:56 pm

Akshita Deora

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रदेश में प्रशासन के लाख दावों के बावजूद चोरी-छिपे बाल विवाह होते हैं। ऐसा ही एक मामला पीपलू क्षेत्र में सामने आया है, जहां एक गांव की नाबालिग की वर्ष 2020 में 10 वर्ष 9 माह की उम्र में ही विवाह कर दिया। इस उम्र में जहां सही ढंग से बच्चे शादी का मायने तक नहीं समझते और इस उम्र में किसी की जबरन शादी कर दी जाए तो उसका भविष्य क्या होगा, लेकिन यह घटना घट चुकी थी।
यह मामला तब सामने आया जब बाल विवाह पीड़िता को 14 साल 11 महीने की उम्र में ही परिवारजन ससुराल भेजने लगा तथा मना करने पर मारपीट कर दी। नाबालिग ने बुधवार को महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र की विधिक परामर्शदाता दिलखुश को कॉल करके बताया कि उसका 3 मई 2020 को 10 वर्ष 9 माह की उम्र में ही बाल विवाह किया था। वर्तमान में वह करीब 14 साल 11 महीने की ही है। इसके बावजूद उसके परिवार वाले उसके साथ मारपीट करके उसे ससुराल भेजने पर आमादा है। वहीं ससुराल से ससुर व उसके पति लेने आए हुए है। परामर्शदाता के साथ बरौनी थाना पुलिस के गजेन्द्र सिंह व अन्य पुलिसकर्मियों के साथ नाबालिग के गांव स्थित उसके घर पहुंचे। जहां पीड़िता की जानकारी के अनुसार उसे लेने के लिए ससुराल से ससुर व पति मौके पर ही मौजूद मिले। जिनसके समझाइश की गई। लेकिन पीड़िता के भाई उसे ससुराल भेजने की जिद्द पर अड़े हुए थे।
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पीड़िता व परिजनों को लेकर केन्द्र पर पहुंचे

घर पर समझाइश पर नहीं मानने पर नाबालिग व परिवार के 4 सदस्यों को थाने स्थित केन्द्र पर लेकर पहुंचे। जहां बाल विवाह किए जाने तथा उसको ससुराल भेजने पर उसके दुष्परिणाम व कानूनन नियमों की जानकारी देकर परिजनों से समझाइश की। इस पर परिवार वालों ने निर्णयों लिया की उनकी बेटी जब तक 18 साल की नहीं हो जाती तब तक उसे ससुराल नहीं भेजेंगे।

181 पर किया था कॉल

बाल विवाह पीड़िता ने 181 टॉल फ्री नंबर पर कॉल किया था। जहां से उसे अपने नजदीकी थाने में संचालित महिला सुरक्षा सलाह केन्द्र की विधिक परामर्शदाता का नंबर दिया गया। इसके बाद उसने विधिक परामर्शदाता को कॉल करके अपनी पूरी आपबीती सुनाई थी। केन्द्र की परामर्शदाताओं ने भी मामले में तत्परता दिखाते हुए पीड़िता के चेहरे पर खुशी लौटाई है।

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