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विश्व प्रसिद्ध गुरुद्वारा व शिव मंदिर से बनी धुवांकला की पहचान

जयपुर-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग 52 के भरनी कस्बे से सात किलोमीटर दूर बसे धुवांकला का इतिहास 700 साल से अधिक पुराना है। चारों ओर घने जंगल एवं प्रकृति की अनुपम छटा के बीच बसा यह गांव संत शिरोमणी धन्नाभगत की जन्म भूमि एवं तपोस्थली है। जहां आज देश-प्रदेश के नहीं अपितू विश्व से श्रद्धालु आकर मत्था टेक असीम आनन्द की प्राप्ति करते है।

टोंकJul 07, 2021 / 10:06 am

pawan sharma

विश्व प्रसिद्ध गुरुद्वारा व शिव मंदिर से बनी धुवांकला की पहचान

दूनी. जयपुर-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग 52 के भरनी कस्बे से सात किलोमीटर दूर बसे धुवांकला का इतिहास 700 साल से अधिक पुराना है। चारों ओर घने जंगल एवं प्रकृति की अनुपम छटा के बीच बसा यह गांव संत शिरोमणी धन्नाभगत की जन्म भूमि एवं तपोस्थली है। जहां आज देश-प्रदेश के नहीं अपितू विश्व से श्रद्धालु आकर मत्था टेक असीम आनन्द की प्राप्ति करते है।
धुवांकला शुरुआत में हीरापुरा गांव के नाम से जाना जाता था। बाद में हीरापुरा गांव का नामकरण धुवांकला के नाम से हुआ। गांव के बसने से पहले जंगल के बीचों-बीच प्रसिद्ध गंगेश्वर एवं धुधंलेश्वर महादेव मंदिर जन-जन की आस्था का केन्द्र था।
इसके बाद गुरुद्वारा साहिब, धन्नाभगत मंदिर देश-प्रदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बनने के साथ कस्बे में स्थित प्रसिद्ध मोतीसागर बांध का मनोहारी दृश्य पर्यटकों को अपनी ओर खिंचता है। सभी जाति-समुदाय के 1000 घरों की बस्ती वाले धुवांकला में 4 हजार 200 की आबादी है तो करीब 2 हजार 700 मतदाता है।
गांव के कई युवा सहित अन्य राजकीय सेवा में कार्यरत है। गांव में दो निजी व एक सरकारी विद्यालय के साथ-साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, आयुर्वेदिक औषधालय एवं पशु चिकित्सालय उप केन्द्र की सुविधा है। गांव में सभी देवी-देवताओं के मंदिरों के साथ मस्जिद भी है। गांव के मोतीसागर बांध के पेटे में आज भी कई परिवार मीठे खरबूजे, तरबूज सहित सब्जियों की पैदावार कर खुशहाल एवं समृद्ध है।

सरपंच रंगलाल साावरिया ने बताया की राज्य एवं केन्द्र सरकार गुरुद्वारा साहिब, गंगेश्वर एवं धुंधलेश्वर महादेव मंदिर को देवस्थान विभाग एवं मोतीसागर बांध पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे तो गांव, क्षेत्र एवं जिले का विकास संभव है।
ग्राम विकास अधिकारी राकेश मालवी ने बताया की धुवांकला कस्बे में पहुंचने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 52 से पक्की सडक़ है, लेकिन सरोली से सवाईमाधोपुर के दूनी से मुगलाना होकर जा रही सडक़ कच्ची होने से राहगीरों, ग्रामीणों, श्रद्धालुओं एवं वाहन चालकों को परेशानी हो रही है।

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