टोंक

कैसे होगा चक दे इंडिया, दुर्दशा का शिकार है स्टेडियम

ओलम्पिक खेलों में भारत की प्रतिभाएं लगातार मैडल जीत कर भारत का नाम रोशन कर रही है। दूसरी ओर टोंक का खेल स्टेडियम दुर्दशा का शिकार हो रहा है। इस कारण यहां खिलाडियों का अभ्यास तक ही नहीं हो पा रही।

टोंकAug 07, 2021 / 07:28 am

pawan sharma

कैसे होगा चक दे इंडिया, दुर्दशा का शिकार है स्टेडियम

टोंक. इन दिनों चल रही ओलम्पिक खेलों में भारत की प्रतिभाएं लगातार मैडल जीत कर भारत का नाम रोशन कर रही है। दूसरी ओर टोंक का खेल स्टेडियम दुर्दशा का शिकार हो रहा है। इस कारण यहां खिलाडियों का अभ्यास तक ही नहीं हो पा रही।
जिलास्तरीय खेल स्टेडियम इन दिनों स्टेडियम न होकर मानों गाजर घास का खेत हो। जहां चारों तरफ घास ही घास नजर आ रही है, जिससे कोई भी खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को उभार नहीं पा रहा है। इतना ही नहीं खेल स्टेडियम में बच्चों के लिए मनोरंजन के लिए लगाए गए झूले, चकरी, रिपसनी आदि के पास में पानी ही पानी होने से बच्चे भी खेल व मनोरंजन से वंचित हो रहे हैं।
इतना ही नहीं पिछले दिनों हुई बारिश के कारण खेल मैदान में अभी तक पानी जमा है। स्टेडियम की चारदिवारी के बाहर नगर परिषद की ओर से बेचे गए खाली भू-खण्डों का अभी तक भी निर्माण नहीं करवाए जाने से हर वर्ष बरसात का पानी जमा रहता है, जो स्टेडियम की दीवार को नुकसान पहुंचाता है।
साथ ही ये पानी रिसकर स्टेडियम के अन्दर जमा रहता है। जबकि नियमों के अनुसार इन भूखण्डों पर अब तक निर्माण हो जाना चाहिए था। स्टेडियम के ट्रेक की उचित सार सम्भाल नहीं होने के कारण व बरसात के पानी से ये अब पूरी तरह से खराब होने लगा है।
जगह-जगह कीचड़ होने से खिलाड़ी खेल नहीं पा रहे। खेल स्टेडियम में नगर परिषद की ओर से सामुदायिक शौचालय भी बनाया गया था, जिसका उद्घाटन के बाद से राजकीय कार्यक्रम के अलावा आज तक ताला तक नहीं खुल पाया। जिला खेल स्टेडियम में अब खिलाडिय़ों की जगह आवारा पशुओं का ज्यादा जमघट होने से आए दिन हादसों का भय बना होने से खिलाड़ी भयभीत हैं।

जहां न तो खेल स्टेडियम की सफाई होती न ही कोई सुरक्षा गार्ड की कोई व्यवस्था है। ऐसे हालातों में जिला स्तरीय खेल स्टेडियम दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। चुनावी सालों में स्टेडियम में होने वाली बड़ी राजनैतिक सभाओं के लिए मंच व पांडाल से लेकर अन्य इंतजाम को लेकर स्टेडियम को कई जगह पर खुदाई कर खराब कर दिया जाता है।
टोंक में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं होने के बावजूद सिर्फ अभ्यास के लिए खेल स्टेडियम में इंतजाम नहीं होने से देश को खेल प्रतिभाएं नहीं मिल पा रही। जिला खेल अधिकारी राजनारायण शर्मा ने बताया कि स्टेडियम की सार सम्भाल के लिए कोई बजट नहीं मिलता है।
यहां पर लाइट कनेक्शन तक नहीं है। ना ही कोई गार्ड मिला हुआ है। उनके पास एक मात्र चोकीदार है। स्टेडियम में उगी गाजर घास व परिसर में जमा पानी की निकासी के लिए नगर परिषद आयुक्त से कहा गया है। जिस पर आयुक्त ने कहा कि अभी वो पुलिस लाइन परेड मैदान में होने वाले जिला स्तरीय पन्द्रह अगस्त के समारोह की तैयारी में लगे हुए हैं। उसके बाद में ही कुछ कर पाएंगे।
रोजाना 500 खिलाड़ी करते हैं अभ्यास

जिला अम्बेडकर खेल स्टेडियम में प्रति दिन 500 खिलाड़ी अभ्यास के लिए आते हैं। इसमें सबसे बड़ी कमी यह है कि यहां काली मिट्टी है। जरा सी बरसात होने पर यहां किसी भी प्रकार का अभ्यास मुश्किल है। दरअसल काली मिट्टी पर पैर फिसलने से खिलाडिय़ों के चोटिल होने का खतरा रहता है। वहीं इस पर चलना भी मुश्किल है। ऐसे में यहां बालू या अन्य मिट्टी बिछाई जानी चाहिए। ताकि खिलाड़ी बरसात के दिनों में भी उस पर खेल सके।

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