संतोषप्रद जवाब नहीं मिल रहा:
किसानों ने बताया क्रय विक्रय सहकारी समिति के अन्तर्गत चलने वाले खरीद केन्द्र पर तैनात कार्मिक बारदाना कब उपलब्ध होगा कि सही जानकारी नहीं दे पा रहे है। जिससे किसानों को खरीद केन्द्र पर चक्कर लगाने पड़ रहे है। बुधवार को भी विभिन्न गांवों के करीब तीन दर्जन वाहनों में किसान अपनी सरसों की फसल बेचने आए थे। परंतु सरकारी खरीद केन्द्र पर बारदाना नहीं होने से किसान सुबह से शाम तक बैठे रहे। लेकिन खरीद केन्द्र पर तैनात कर्मचारियों ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
किसानों ने बताया क्रय विक्रय सहकारी समिति के अन्तर्गत चलने वाले खरीद केन्द्र पर तैनात कार्मिक बारदाना कब उपलब्ध होगा कि सही जानकारी नहीं दे पा रहे है। जिससे किसानों को खरीद केन्द्र पर चक्कर लगाने पड़ रहे है। बुधवार को भी विभिन्न गांवों के करीब तीन दर्जन वाहनों में किसान अपनी सरसों की फसल बेचने आए थे। परंतु सरकारी खरीद केन्द्र पर बारदाना नहीं होने से किसान सुबह से शाम तक बैठे रहे। लेकिन खरीद केन्द्र पर तैनात कर्मचारियों ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
राजफैड को बता दिया… क्रय विक्रय सहकारी समिति के प्रबंधक हरिराम का कहना है कि सरकारी खरीद केन्द्र पर एक हजार से अधिक किसानों ने सरसों की फसल बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके है। जबकि और रजिस्ट्रेशन हो रहे। बारदाना नहीं होने से किसानों की फसल की खरीद नहीं हो पा रही है। नेफेड व राजफैड को बारदाने के लिए लिखित तथा व्यक्तिश: भी अवगत करा दिया है। अन्य खरीद केन्द्र से भी कुछ बारदाने की व्यवस्था की गई है, लेकिन बारदाना कम पड़ गया है। बारदाना आते ही किसानों की सरसों की तुलाई कर ली जाएगी।
दर्जनों गांवों के किसानों की समस्या
बुधवार को गांव नला, चुराडा, नटवाडा, पराणा, मंडालिया, बहड, डांगरथल सहित विभिन्न गांवों से किसानों ने बताया कि 25 मई के बाद से निवाई मंडी समिति में संचालित सरकारी खरीद पर बारदाना नहीं होने से किसान प्रतिदिन फसलों को लेकर आते है। तथा सुबह से शाम तक बारदाने का इंतजार कर वापस घरों को लौट जाते है। कई किसान तो सरकारी खरीद केन्द्र पर अपने वाहन में सो जाते है।
बुधवार को गांव नला, चुराडा, नटवाडा, पराणा, मंडालिया, बहड, डांगरथल सहित विभिन्न गांवों से किसानों ने बताया कि 25 मई के बाद से निवाई मंडी समिति में संचालित सरकारी खरीद पर बारदाना नहीं होने से किसान प्रतिदिन फसलों को लेकर आते है। तथा सुबह से शाम तक बारदाने का इंतजार कर वापस घरों को लौट जाते है। कई किसान तो सरकारी खरीद केन्द्र पर अपने वाहन में सो जाते है।