टोंक

video: एक गांव ऐसा जहां फसल को मवेशियों से बचाने के लिए ग्रामीणों की इस पहल ने सरकारी मदद को दिखाया आइना

डारडाहिन्द के ग्रामीण जनप्रतिनिधियों व सरकार पर मोहताज नहीं रहते हुए 43 लाख रुपए भी एकत्र भी कर लिए।

टोंकFeb 17, 2018 / 04:57 pm

pawan sharma

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टोंक. मवेशियों से फसलों को बचाने के लिए शुरू की गई तारबन्दी योजना में जिले का तिनका सा लक्ष्य देख डारडाहिन्द गांव के ग्रामीणों ने खुद के बलबूते तारबंदी कराने का फैसला कर लिया। इसके तहत गांव के 35 किलोमीटर क्षेत्र में तारबंदी कराई जाएगी। इसमें करीब डेढ़ करोड़ की लागत आएगी। जबकि सांसद ने गत दिनों यह कहते हुए वाही-वाही लूटी थी कि जिले के किसानों के लिए उन्होंने तारबंदी योजना की मांग संसद में प्रमुखता से उठाई थी।
 

 


इसके चलते ही टोंक व सवाईमाधोपुर में कृषि विभाग की ओर से योजना की शुरुआत हो सकी। योजना के तहत जिले में साढ़े इक्यावन किलोमीटर तारबन्दी का लक्ष्य है। जबकि किसानों के रूझान का आलम यह है कि अब तक करीब साढ़े पांच हजार से अधिक किसान ई-मित्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं। चौकाने वाली बात यह है कि आवेदन में मांगे गए दस्तावेज व जटिल प्रकिया के चलते योजना के तहत अभी तक एक भी किसान लाभान्वित नहीं हो पाया।
 

 

इसके उलट डारडाहिन्द के ग्रामीण जनप्रतिनिधियों व सरकार पर मोहताज नहीं रहते हुए 43 लाख रुपए भी एकत्र भी कर लिए। इतना ही नहीं गांव के लोगों ने अभियन्ता को बुलाकर कृषि भूमि का तकनीमा भी तैयार करा लिया। इसमें समूचे गांव की 35 किलोमीटर क्षेत्र में फैली कृषि भूमि की तारबंदी कराने में करीब डेढ़ करोड़ की लागत आएगी। इसको लेकर इस वर्ष सामूहिक रूप से बेची गई सरसों की तूड़ी से प्राप्त 43 लाख एक हजार रुपए से तार व सरिए आदि भी मंगवाए गए है। वर्ष 2020 तक पूरे क्षेत्र में तारबंदी कराने का लक्ष्य है।
…तो जीवन सुरक्षित
डारडाहिन्द के लोगों ने बताया कि जयपुर-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे मेहंदवास, उस्मानपुरा, डारडाहिन्द, पालड़ी, बंथली, संथली समेत दर्जनों गांवों में आवारा मवेशियों किसान परेशान है। मवेशी हजारों फसल को बर्बाद कर देते है। इससे ठण्ड के बावजूद खेत की रखवाली के लिए रतजगा करना पड़ता है। ग्रामीणों ने एक ओर खुद के बलबूते गोशाला का संचालन कराया तथा अब तारबंदी कराने का निर्णय किया।
यह है योजना
योजना के तहत जिले में 51 हजार 600 मीटर तारबन्दी का लक्ष्य मिला है। जबकि कृषि योग्य भूमि 5 लाख 73 हजार 617 हैक्टेयर है। विभाग की ओर से तारबंदी पर 40 हजार रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा। अधिकतम 400 मीटर तक की तारबंदी होगी। इसमें सौ रुपए प्रति रनिंग मीटर की दर से 40 हजार रुपए तक का अनुदान दिया जाना है। योजना का पात्र वह किसान होगा जिसके हिस्से में दो बीघा भूमि या इससे अधिक है। इसमें किसान खेत में 10-10 फीट की दूरी पर सीमेंट या लोहे के पोल गाडकऱ उसमें छह तार खीचे होना आवश्यक है। प्रत्येक पोल की लम्बाई भूमि से पांच फीट ऊपर होना जरूरी है।
प्रत्येक वर्ष किसानों को नीलगायों से फसलों का खराबा सहना पड़ता है। इसको लेकर यह सामूहिक फैसला करना पड़ा।
श्योजीराम जाट, किसान

तारबंदी का सरकारी लक्ष्य ऊंट के मुंह में जीरा समान था। गांव के स्वावलम्बी किसान आखिर कम तक इंतजार करते।
रामेश्वर चौधरी, किसान
ग्रामीणों ने प्रक्रिया शुरू कर दी। विभाग इसमें सरकार अनुदान दे तो तीन वर्ष का इंतजार नहीं सहना पड़े।
भैरूंलाल, किसान

गांव के लिए जो दे उसका भी भला, जो नहीं दे उसका भी भला। समूचा गांव चाह ले तो कोई भी कार्य बड़ा
नहीं है।
कन्हैयालाल पांचाल, किसान

जिले का कृषि क्षेत्र एक नजर में
कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 7 लाख 17 हजार 958 हैक्टेयर
ठ्कषि योग्य क्षेत्रफल 5 लाख 73 हजार 617 हैक्टेयर
ठ्ठ बुवाई क्षेत्रफल औसत 4 लाख 49 हजार 347 हैक्टेयर
ठ्ठ द्विफसलीय क्षेत्रफल 1 लाख 65 हजार 132 हैक्टेयर
ठ्ठ सिंचित क्षेत्रफल 3 लाख 5 हजार 914 हैक्टेयर
ठ्ठ तारबंदी का लक्ष्य 51 हजार 600 मीटर

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