कॉलेज में मिमिक्री कर छात्रों केा हंसाते थे
ब्रह्मानंदम के परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब थी। वे अपने परिवार में एक इकलौते ऐसे शख्स है, जिन्होंने उस समय एमए तक पढ़ाई की थी। पोस्ट ग्रैजुएशन के बाद उन्होंने तेलुगू लेक्चरर के रूप में अत्तिल्ली कॉलेज में नौकरी करना शुरू कर दिया। उस दौरान अक्सर वे छात्रों को मिमिक्री कर हंसाया करते थे।
ड्रामा में अभिनय से खुले फिल्मों के दरवाजे
एक बार ब्रह्मानंदम को कॉलेज ड्रामा प्रतियोगिता में बेस्ट सपोर्टिंग आर्टिस्ट का प्राइज मिला था, जिसके बाद उनकी रूचि ड्रामा की ओर बढ़ी। इस दौरान जाने माने तेलुगू फिल्मों के डायरेक्टर जन्धयाला उनके अभिनय से प्रभावित हुए और उन्हें अपनी फिल्म ‘चन्ताबाबाई’ में छोटा सा रोल ऑफर किया और इसी फिल्म से ब्रह्मानंदम के फिल्मी कॅरियर की शुरुआत हुई।
‘आहा न पेल्लानता’ से हुए दुनिया में मशहूर
जन्धयाला की दूसरी फिल्म ‘आहा न पेल्लानता’ से ब्रह्मानंदम फिल्मी दुनिया में मशहूर हुए। अब तक ब्रह्मानंदम 1000 से भी ज्यादा फिल्में कर चुके हैं।
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम
ब्रह्मानंदम का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। यह रिकॉर्ड 2007 में एक ही भाषा में 700 से अधिक फिल्मों में अभिनय करने के लिए दर्ज किया गया था। इतना ही नहीं सिनेमा में ब्रह्मानंदम के योगदान को देखते हुए उन्हें 2009 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया। उनकी कुछ सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में ‘अहा ना पेल्लंता’, ‘अप्पुला अप्पा राव’, ‘किंग’, ‘रेड्डी’, ‘रच्चा’ ‘आर्या 2’ और ‘बपालू’ शामिल हैं।