यह भी पढ़े़ं कभी सीमेंट फैक्टरी में काम करते थे विजय सेतुपति, जानें क्यों रखा गया इन पर 1001 का इनाम अभिनय की बात करें तो काजल अग्रवाल ने अपना एक्टिंग डेब्यू 2004 में आई फिल्म ‘क्यूं हो गया ना’ से किया। लेकिन उन्हें खास पहचान नहीं मिली। इसके बाद उन्होनें 2007 में फिल्म लक्ष्मी कल्याणम से तेलुगू डेब्यू किया।
काजल अग्रवाल को एक्ट्रेस के रूप में पहचान वर्ष 2009 मे फिल्म मगधीरा से मिली। इस फिल्म के बाद काजल की एक्टिंग की बेहद प्रशंसा हुई। इसके बाद काजल कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों में नजर आईं। इसके बाद काजल को बॉलीवुड फिल्मों में अप्रोच किया जाने लगा।
2016 में काजल अग्रवाल को रणदीप हुड्डा के साथ फिल्म दो लफ्जों की कहानी में देखा गया। लेकिन एक बार इस फिल्म से जुड़ा किस्सा शेयर करते हुए बताया था कि वह एक सीन को लेकर बेहद डरी हुईं थी।
दीपक तिजोरी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘‘दो लफ्जों की कहानी’’ में रणदीप हुड्डा और काजल अग्रवाल मुख्य भुमिकाओं में हैं। खबर यह भी थी कि इस किसिंग सीन के बारे काजल अग्रवाल को मेकर्स द्वारा पहले से नहीं बताया गया। हालांकि काजल ने इसका बाद में खंडन किया था।
यह भी पढ़े़ं 46 की उम्र में कैसे फिट रहते हैं महेश बाबू, ये है फिटनेस का राज काजल ने कहा, ‘‘मै डरी हुई थी, लेकिन रणदीप ने इसे मेरे लिए बहुत आसान और सहज बनाया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मैं सहज रहूं। हमने बहुत सारी बातें की और मेरा संकोच खत्म हुआ।’’
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए काजल कहती हैं ‘‘मैंने दक्षिण की फिल्मों में ऐसा नहीं किया था इसलिए झिझक रही थी। फिर मैंने इसका महत्व समझा और यह पटकथा का एक हिस्सा था। मुझे नहीं पता कि ये खबरें कहां से आती हैं। इस तरह की बातें कौन करता है। हम प्रोफेशनल हैँ और जो कुछ भी हम परदे पर करते हैं और वह पहले से तय रहता है।’’
इस फिल्म की बात करें तो काजल अग्रवाल इसमें एक ऐसी लड़की के किरदार में हैं जो देख नहीं सकती हैं। वहीं रणदीप हुड्डा एक बॉक्सर के किरदार में हैं। फिल्म इन दोनों किरदारों की केमस्ट्री पर मुख्य फोकस किया गया है। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औसत ही रही थी।