टीकमगढ़. जल संरक्षण को लेकर सरकार ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवर बनवा रही है, लेकिन पुराने और चंदेलकालीन तालाबों की सुध जिम्मेदार नहीं ले रहे है। नगर से सटे मदन सागर तालाब जलकुंभी से पट गया है। जलकुंभी की अधिकता से न भक्तजन मंदिरों में पूजन अर्चन के लिए तालाबों के जल का उपयोग कर रहे है और न ही जानवर पी रहे है।
समाजसेवी रामरतन दीक्षित, मुकेश तिवारी ने बताया कि ऐतिहासिक मदन सागर का तालाब नगरपरिषद क्षेत्र में है। इस तालाब के पास हनुमान मंदिर, माता देवी मंदिर के साथ भगवान भोलेनाथ का मंदिर है। नगर प्रशासन ने मंदिरों तक पहुंचने के लिए काफ ी कार्य कराए गए, लेकिन तालाब में जड़ जमा चुकी जलकुंभी की सफ ाई कराने में कोई भूमिका नहीं निभाई गई। समाज सेवियों ने बताया कि कभी बुंदेलखंड की पहचान तालाबों और जलाशयों की बदौलत हुआ करती थी, लेकिन अब जैसे यह गुजरे जमाने की बात हो गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि यहां के लोग बुजुर्गो की धरोहर को सहेज नहीं पाए और इन तालाबों को जलकुंभी निगल गई। तालाबों और जलाशयों का गंदा पानी जानवरों के भी उपयोग के लिए नहीं बचा।
समाजसेवी रामरतन दीक्षित, मुकेश तिवारी ने बताया कि ऐतिहासिक मदन सागर का तालाब नगरपरिषद क्षेत्र में है। इस तालाब के पास हनुमान मंदिर, माता देवी मंदिर के साथ भगवान भोलेनाथ का मंदिर है। नगर प्रशासन ने मंदिरों तक पहुंचने के लिए काफ ी कार्य कराए गए, लेकिन तालाब में जड़ जमा चुकी जलकुंभी की सफ ाई कराने में कोई भूमिका नहीं निभाई गई। समाज सेवियों ने बताया कि कभी बुंदेलखंड की पहचान तालाबों और जलाशयों की बदौलत हुआ करती थी, लेकिन अब जैसे यह गुजरे जमाने की बात हो गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि यहां के लोग बुजुर्गो की धरोहर को सहेज नहीं पाए और इन तालाबों को जलकुंभी निगल गई। तालाबों और जलाशयों का गंदा पानी जानवरों के भी उपयोग के लिए नहीं बचा।
स्थानीय लोगों ने बताया कि नगर में ऐतिहासिक चंदेलकालीन मदन सागर तालाब है। इससे एक दर्जन गांव के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलता था। आज जलकुंभी ने उनके रास्तों को खत्म कर दिया है। तालाब का गहरीकरण के साथ ही साफ सफ ाई की मांग को लेकर लगातार मांग की जा रही है, लेकिन यहां पर तालाब के रखरखाव को लेकर प्रशासनिक स्तर से कोई प्रयास नहीं है। अधिकारियों की अनदेखी के कारण यह तालाब अपना अस्तृत्व खोता जा रहा है।
पूरे तालाब में फैल गई जलकुंभी
जलकुंभी से तालाब का पूरा पानी हरी चादर की तरह हो गया है। मछली पालन में करोडों रुपए देने वाले तालाब आज बगैर पालन के पड़ा है। इसका मुख्य कारण जल कुं भी है। स्थानीय लोगों का कहना था कि अगर इस तालाब पर जिम्मेदार विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले कुछ ही सालों में मदन सागर तालाब समाप्त हो जाएगा।
जलकुंभी से तालाब का पूरा पानी हरी चादर की तरह हो गया है। मछली पालन में करोडों रुपए देने वाले तालाब आज बगैर पालन के पड़ा है। इसका मुख्य कारण जल कुं भी है। स्थानीय लोगों का कहना था कि अगर इस तालाब पर जिम्मेदार विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले कुछ ही सालों में मदन सागर तालाब समाप्त हो जाएगा।
केन बेतवा लिंक परियोजना के लिए कर रहे जागरूक
मदन सागर तालाब के रखरखाव के लिए स्थानीय लोगों ने नगरपरिषद से लेकर तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर को ज्ञापन दे चुके है, लेकिन मामले में किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा केन बेतवा लिंक परियोजना के लिए जागरूक किया जा रहा है। इस परियोजना से तालाब भरने की बात कही जा रही है।
मदन सागर तालाब के रखरखाव के लिए स्थानीय लोगों ने नगरपरिषद से लेकर तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर को ज्ञापन दे चुके है, लेकिन मामले में किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा केन बेतवा लिंक परियोजना के लिए जागरूक किया जा रहा है। इस परियोजना से तालाब भरने की बात कही जा रही है।
इनका कहना
तालाब के रखरखाव के लिए पत्र शासन के पास भेज दिया गया है, लेकिन बजट के अभाव में स्वीकृति नहीं मिली है। जलकुंभी हटाने के लिए विभाग के पास कोई बजट नहीं है, अगर नगर परिषद इसमें सहयोग कर देती है तो यह जलकुंभी हट सकती है।
सौरभ पटेल, एसडीओ जल संसाधन विभाग जतारा।
तालाब के रखरखाव के लिए पत्र शासन के पास भेज दिया गया है, लेकिन बजट के अभाव में स्वीकृति नहीं मिली है। जलकुंभी हटाने के लिए विभाग के पास कोई बजट नहीं है, अगर नगर परिषद इसमें सहयोग कर देती है तो यह जलकुंभी हट सकती है।
सौरभ पटेल, एसडीओ जल संसाधन विभाग जतारा।