टीकमगढ़

आल्हा ऊदल के समय बनवाया गया था विंध्यवासिनी माता मंदिर

विंध्यवासिनी माता मंदिर।

टीकमगढ़Oct 09, 2024 / 12:22 pm

akhilesh lodhi

विंध्यवासिनी माता मंदिर।

१०० मीटर ऊंचाई वाली पहाड़ी पर बैठी माता के लिए बनाए गए २२५ सीढिय़ां
टीकमगढ़. बल्देवगढ़ का मां विंध्यवासिनी मंदिर ११०० वर्ष पहलेआल्हा ऊदल के समय निर्माण हुआ था। मंदिर का निर्माण १०० मीटर ऊंची पहाड़ी पर हुआ है। दक्षिण की दिशा में २२५ और पूर्व की दिशा में २०० सीढिय़ां बनी है। उसके पास बहेरिया तालाब का नाला निकला है। मुख्यालय से २३ और बल्देवगढ़ से ३ किमी की दूरी पर है।
विंध्यवासिनी मंदिर में नवरात्र में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। शारदीय नवरात्र में दर्शन करने हजारों की संख्या में भक्त आते है और चैत्र नवरात्र में मेला लगाया जाता है। बल्देवगढ़ से टीकमगढ़ मार्ग पर 3 किमी दूरी पर मां विंध्यवासिनी मंदिर है। बुंदेलखंड क्षेत्र के अति प्राचीन मंदिरों में से एक मां विंध्यवासिनी मंदिर है। इस मंदिर में माता की दो मूर्तियां विराजमान में जिनमें से एक अति प्राचीन मूर्ति है, मंदिर के पश्चिम भाग में एक गुफ ा है, वह गुफ ा बहुत गहरी है जो सुरंग के रूप में किले की ओर खुलती है। जो कि अज्ञात है, जिसका पता आज तक नहीं चल पाया है।
पहली पूजा नहीं देख पाया कोई
बल्देवगढ़ के बारे लाल चौरसिया ने बताया कि मां विंध्यवासिनी मंदिर में पहली पूजा को कोई देख नहीं पाया। कितनी ही सुबह से मंदिर में कोई जाए तो माता पर पहले से ही जलऔर पुष्प अर्पित रहते हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि कोई पहले से ही पूजन कर चुका है। मंदिर लगभग पहाड़ पर 100 मीटर ऊंचाई पर बना है। जिसके दक्षिण पूर्वी व पूर्व दिशा की ओर से सीढिय़ां चढक़र मां के दर्शन को पहुंचना पड़ता है।
वर्ष २००१ में हुआ था विस्तार
स्थानीय लोगों ने बताया कि प्राचीन मंदिर का विस्तार 2001 में किया गया। मंदिर के ऊपरी तल पर तीन धर्मशाला और तीन तलघर धर्मशालाएं हैं। मंदिर के पीछे पहाड़ी पर शेर की गुफ ा है और वर्षों पूर्व इस गुफ ा में शेर को देखा गया। क्षेत्र में ऐसी मान्यता है जो भी भक्त मां विंध्यवासिनी मंदिर के दर्शन श्रद्धा भाव से करता है और मन्नत मांगता है माता रानी उसकी मुराद पूरी करती हैं। मां विंध्यवासिनी मंदिर मैदान में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी से मेला लगता है, जो कि पूर्णिमा तक चलता है।

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