टीकमगढ़. किसान जैविक खेती को छोड़ रासायनिक खाद की खेती करने में लगा है। अधिक पैदावार के लिए दो से ढाई गुना उर्वरक का उपयोग कर रहा है। इससे नमक की मात्रा अधिक बढ़ रही है और जमीन कठोर होती जा रहा है। दो जुताई की जगह चार जुताई उतनी गहरी नहीं हो पा रही है जितनी ३० वर्ष पहले एक जुताई में हो जाती थी। जमीन के पोषक तत्व कम होने से फसलों की पैदावार कम होती जा रही है।
कृषि विभाग के मिट्टी परीक्षण अधिकारी डीके जाटव ने बताया कि जमीन में नाईट्रोजन, नमक की मात्रा ६ से ७.५ पीएच आदर्श होती है तो वहां की पैदावार अधिक रहती है। लेकिन इन दिनों रासायनिक खाद की मात्रा बुवाई में अधिक की जा रही। इससे खेतों में नमक का स्तर बढ़ रहा है और जमीन के पोषक तत्वों को कम कर रहा है। जिससे अनाज की पैदावार पर असर पड़ रहा है। जमीन के पोषक तत्वों की पूर्ति करने के लिए जिंक, सल्फेट, पोटास, चूना के साथ जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए।
कृषि विभाग के मिट्टी परीक्षण अधिकारी डीके जाटव ने बताया कि जमीन में नाईट्रोजन, नमक की मात्रा ६ से ७.५ पीएच आदर्श होती है तो वहां की पैदावार अधिक रहती है। लेकिन इन दिनों रासायनिक खाद की मात्रा बुवाई में अधिक की जा रही। इससे खेतों में नमक का स्तर बढ़ रहा है और जमीन के पोषक तत्वों को कम कर रहा है। जिससे अनाज की पैदावार पर असर पड़ रहा है। जमीन के पोषक तत्वों की पूर्ति करने के लिए जिंक, सल्फेट, पोटास, चूना के साथ जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए।
जमीन हो रही कठोर, नहीं हो पा रही गहरी जुताई
किसान दो से ढाई गुना ज्यादा डीएपी, यूरिया डाल रहे है। इससे पैदावार तो बढ़ी है, लेकिन मिट्टी में नीचे से कठोरता आने लगी है। इसकी पुष्टि इससे होती है कि ३० वर्ष पहले जो खेत एक जुताई में गहरे हो जाते थे। उनके लिए तीन से चार जुताई करनी पड़ रही है। उसके बाद भी मिट्टी कठोर बनी है। सबसे अधिक समस्या पतरीली और लाल मिट्टी में आ रही है।
किसान दो से ढाई गुना ज्यादा डीएपी, यूरिया डाल रहे है। इससे पैदावार तो बढ़ी है, लेकिन मिट्टी में नीचे से कठोरता आने लगी है। इसकी पुष्टि इससे होती है कि ३० वर्ष पहले जो खेत एक जुताई में गहरे हो जाते थे। उनके लिए तीन से चार जुताई करनी पड़ रही है। उसके बाद भी मिट्टी कठोर बनी है। सबसे अधिक समस्या पतरीली और लाल मिट्टी में आ रही है।
जैविक खेती से दूरी बना रहे किसान
जैविक खेती में किसानों की रुचि कम हो रही है। किसान फ सल चक्र भी नहीं अपना रहे है। ज्यादा पैदावार की गरज से रासायनिक खाद का बेजा उपयोग बढ़ रहा है। जिससे जमीन जहरीली हो रही है। उपजाऊ क्षमता प्रभावित हो रही है। जिससे खाद से प्रति एकड़ लागत बढ़ रही है, इसकी तुलना में लाभ घट रहा है।
जैविक खेती में किसानों की रुचि कम हो रही है। किसान फ सल चक्र भी नहीं अपना रहे है। ज्यादा पैदावार की गरज से रासायनिक खाद का बेजा उपयोग बढ़ रहा है। जिससे जमीन जहरीली हो रही है। उपजाऊ क्षमता प्रभावित हो रही है। जिससे खाद से प्रति एकड़ लागत बढ़ रही है, इसकी तुलना में लाभ घट रहा है।
मिट्टी परीक्षण का जिलों को मिला लक्ष्य
बताया गया कि टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले की मिट्टी परीक्षण का लक्ष्य १९०८० है। उसमें से ११००० मिट्टी परीक्षण के लिए लैब में आ गए है। उनमें से ७८०० मिट्टी परीक्षण लैब में किया गया है। जिसमें सबसे अधिक नाईट्रोजन नमक की मात्रा मिली हैै। जैविक खाद का मात्रा जांच में नहीं आ रह है।
बताया गया कि टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले की मिट्टी परीक्षण का लक्ष्य १९०८० है। उसमें से ११००० मिट्टी परीक्षण के लिए लैब में आ गए है। उनमें से ७८०० मिट्टी परीक्षण लैब में किया गया है। जिसमें सबसे अधिक नाईट्रोजन नमक की मात्रा मिली हैै। जैविक खाद का मात्रा जांच में नहीं आ रह है।
फैक्ट फाइल
१२७८० टीकमगढ़ जिले को दिया मिट्टी परीक्षण का लक्ष्य
९००० मिट्टी परीक्षण के लिए लैब में आए नमूने
५८०० नमूनों का किया गया परीक्षण ६३०० निवाड़ी जिले को दिया मिट्टी परीक्षण का लक्ष्य
२००० मिट्टी परीक्षण के लिए लैब में आए नमूने
२००० नमूनों का किया गया परीक्षण
१२७८० टीकमगढ़ जिले को दिया मिट्टी परीक्षण का लक्ष्य
९००० मिट्टी परीक्षण के लिए लैब में आए नमूने
५८०० नमूनों का किया गया परीक्षण ६३०० निवाड़ी जिले को दिया मिट्टी परीक्षण का लक्ष्य
२००० मिट्टी परीक्षण के लिए लैब में आए नमूने
२००० नमूनों का किया गया परीक्षण
इनका कहना
खाद का ज्यादा उपयोग जमीन की सेहत बिगाड़ता है। इससे पैदावार तो बढ़ती है, लेकिन जमीन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। संतुलन बनाए रखने के लिए पोषक तत्वों की पूर्ति करना जरूरी है। यह पूर्ति जैविक खाद और जिंक, सल्फेट, पोटास, चून की जा सकती है। किसान कटाई जमीन को बखरे और मिट्टी परीक्षण कराए।
डीके जाटव, मिट्टी परीक्षण अधिकारी टीकमगढ़।
खाद का ज्यादा उपयोग जमीन की सेहत बिगाड़ता है। इससे पैदावार तो बढ़ती है, लेकिन जमीन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। संतुलन बनाए रखने के लिए पोषक तत्वों की पूर्ति करना जरूरी है। यह पूर्ति जैविक खाद और जिंक, सल्फेट, पोटास, चून की जा सकती है। किसान कटाई जमीन को बखरे और मिट्टी परीक्षण कराए।
डीके जाटव, मिट्टी परीक्षण अधिकारी टीकमगढ़।