टीकमगढ़. जिले के घंटाघर पर हर सुबह कामगारों का मेला लगता है। इसमें हर उम्र के श्रमिक रहते है। मजदूर की जरूरत में वहां आने वाले ठेकेदार और मकान मालिक को देख मजदूरों की आंखें चमक उठती है। उन्हें उम्मीद पैदा हो जाती है कि आज रोजगार मिल जाएगा, लेकिन उनमें से आधे की ही उम्मीद पूरी होती है। सुबह से दोपहर तक खुले आसमान के नीचे खड़े रहते है। जिसके कारण उन्हें बारिश, ठंड और धूप का सामना करना पड़ता है। उन्हें बैठने और खड़े होने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं है।
घंटा घर के पास मजदूरी के लिए खड़े प्रीतम सेन और भरोसे चढ़ार से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रतिदिन सुबह सात बजे शहर के घंटा घर और गांधी चौक के पास आकर खड़े हो जाते है। यहां पर जिले के लगभग हर कोने से मजदूर आते है। जिनको काम मिला वह काम पर लगे और जिनको नहीं मिला वह दोपहर तक वहीं पर मायूस खड़े रहते है और फि र अपनी गरीबी को कोसते हुए खाली हाथ घर लौट जाते है। जिले के अधिकांश मजदूर रोज कमाने खाने वाले है। उनको अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिए जूझना पड़ता है। मजदूरों को पसीना बहाते हुए गल्ला मंडी, सब्जी मंडी और अन्य जगहों पर देखा जाता है। उनके नाम पर शासन प्रशासन के नुमाइंदे लंबी बातें करते है और सुर्खियों में आ जाते है। यह रस्म मजदूर दिवस पर सालाना की जाती है। लेकिन सुरक्षा और सुविधा के लिए कोई प्रयास नहीं होते।
घंटा घर के पास मजदूरी के लिए खड़े प्रीतम सेन और भरोसे चढ़ार से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रतिदिन सुबह सात बजे शहर के घंटा घर और गांधी चौक के पास आकर खड़े हो जाते है। यहां पर जिले के लगभग हर कोने से मजदूर आते है। जिनको काम मिला वह काम पर लगे और जिनको नहीं मिला वह दोपहर तक वहीं पर मायूस खड़े रहते है और फि र अपनी गरीबी को कोसते हुए खाली हाथ घर लौट जाते है। जिले के अधिकांश मजदूर रोज कमाने खाने वाले है। उनको अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिए जूझना पड़ता है। मजदूरों को पसीना बहाते हुए गल्ला मंडी, सब्जी मंडी और अन्य जगहों पर देखा जाता है। उनके नाम पर शासन प्रशासन के नुमाइंदे लंबी बातें करते है और सुर्खियों में आ जाते है। यह रस्म मजदूर दिवस पर सालाना की जाती है। लेकिन सुरक्षा और सुविधा के लिए कोई प्रयास नहीं होते।
पहले जवाहर चौक पर था मजदूर चौराहा
वर्ष २०१८ के पहले जवाहर चौक पर मजदूरों का स्थान था। वहां पर सुबह से ११ बजे तक यातायात प्रभावित होती थी। सिटी कोतवाली पुलिस ने घंटा घर के पास मजदूरों को एकत्र होने की व्यवस्था बनाई थी और कई सभाओं में मजदूरों के लिए टीन शेड बनाने की घोषणाएं भी की गई थी। लेकिन कुछ नहीं हुआ। बारिश और धूप से बचने के लिए डिवाइडर के पेड और राजेंद्र पार्क का मानस मंच का उपयोग करते है।
वर्ष २०१८ के पहले जवाहर चौक पर मजदूरों का स्थान था। वहां पर सुबह से ११ बजे तक यातायात प्रभावित होती थी। सिटी कोतवाली पुलिस ने घंटा घर के पास मजदूरों को एकत्र होने की व्यवस्था बनाई थी और कई सभाओं में मजदूरों के लिए टीन शेड बनाने की घोषणाएं भी की गई थी। लेकिन कुछ नहीं हुआ। बारिश और धूप से बचने के लिए डिवाइडर के पेड और राजेंद्र पार्क का मानस मंच का उपयोग करते है।
इनका कहना
पहले जवाहर चौराहा मजदूरों का स्थान था, फिर घंटा घर के पास स्थान कर दिया है। लेकिन यहां पर मजदूरों के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं है। उन्हें बारिश और धूप के समय सबसे ज्यादा परेशानियां होती है। सैकड़ों की संख्या में मजदूरों को छुपने के लिए एक भी स्थान नहीं है। जहां पर बैठकर छुप सकें।
बालकिशन विश्वकर्मा, घंटाघर के पास।
पहले जवाहर चौराहा मजदूरों का स्थान था, फिर घंटा घर के पास स्थान कर दिया है। लेकिन यहां पर मजदूरों के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं है। उन्हें बारिश और धूप के समय सबसे ज्यादा परेशानियां होती है। सैकड़ों की संख्या में मजदूरों को छुपने के लिए एक भी स्थान नहीं है। जहां पर बैठकर छुप सकें।
बालकिशन विश्वकर्मा, घंटाघर के पास।
सुबह से दोपहर तक कई मजदूर काम की तलाश में घंटा घर से गांधी चौक तक चलते रहते है। एक चिन्हित स्थान नहीं होने से काम नहीं मिल पाता है। उनके लिए एक बैठक व्यवस्था बनाई जाए।
रमेश प्रजापति, समाजसेवी टीकमगढ़।
रमेश प्रजापति, समाजसेवी टीकमगढ़।
मजदूरों को बैठने और खड़े होने के लिए टीन शेड, चबूतरे का निर्माण किया जाना चाहिए। जहां एक जगह बैठकर ठेकेदार और मकान मलिकों का इंतजार कर सके।
श्यामलाल अहिरवार, हजूरीनगर। घंटा घर के सामने खाली पड़ी जमीन पर मजदूरों के लिए एक टीनशेड और चबूतरा बनाया जाएगा। उस स्थान पर बारिश, धूप में मजदूर बैठ सके।
महेश प्रसाद असाटी, दुकानदार।
श्यामलाल अहिरवार, हजूरीनगर। घंटा घर के सामने खाली पड़ी जमीन पर मजदूरों के लिए एक टीनशेड और चबूतरा बनाया जाएगा। उस स्थान पर बारिश, धूप में मजदूर बैठ सके।
महेश प्रसाद असाटी, दुकानदार।