शनिवार की दोपहर 12.30 बजे के लगभग बसस्टैंड पर बने शिव मंदिर की छांव में यात्री बसों का इंतजार कर रहे थे। उसी समय इन लोगों को किसी बच्चें के रोने की आवाज सुनाई थी। यह आवाज सुन लोगों ने सोचा कि किसी का बच्चा रो रहा होगा और भूखा होगा। लेकिन जब यह आवाज थमते न दिखी तो लोगों का ध्यान इस पर गया। वहीं मंदिर की सीढिय़ों की ओर जब लोगों ने देखा तो यहां पर कपड़ों की एक पोटली में हलचल होते दिखी और आवाज भी वहीं से आ रही थी। ऐसे में लोगों ने इसे देखा और आसपास नजर दौड़ाई कि शायद इसकी मां इसे लेने आए। लेकिन जब कोई नहीं आया तो इसकी सूचना पुलिस को दी। बसस्टैंड पर मौजूद यातायात पुलिस ने इस कपड़ों में लिपटी इस बच्ची को उठाकर चौकी के अंदर रखा और चाइल्ड लाइन की टीम को सूचना दी। चाइल्ड लाइन की टीम ने इस बच्ची को लेकर जिला अस्पातल में भर्ती कराया। यहां पर इसकी समुचित जांच के बाद टीम ने इसे अपने बाल आश्रय गृह में रख लिया है।
बच्ची पूरी तरह से स्वास्थ्य
एसएनसीयू के प्रभारी डॉ कमलेश सूत्रकार ने बताया कि बच्ची डेढ़ से दो माह की है और उसका वजन 3.5 किलो है। उन्होंने बताया कि बच्ची का पूरा परीक्षण कर लिया गया है और पूरी तरह से स्वास्थ्य है। वहीं लाइल्ड लाइन के समन्वय विनोद खरे का कहना था कि बच्चीं को आश्रय गृह में रखा गया है। आगे की कार्रवाई शासन की गाइड लाइन के अनुसार की जाएगी।
पहले भी सामने आ चुके है मामले
विदित हो कि इस प्रकार के मामले पहले भी सामने आ चुके है। कुछ दिनों पूर्व जहां निवाड़ी के बिनवारा में एक मासूम झाडिय़ों में मिली थी कि उसके कुछ ही दिन बाद पृथ्वीपुर में एक बेटी को फैंका गया था। ओरछा में भी एक युगल बेटी को बैग में बंद कर श्रीरामराजा मंदिर के सामने छोड़ गया है। इन किसी भी मामले का आज तक खुलासा नहीं हो सका है।