टीकमगढ़/ओरछा. राम राजा लोक निर्माण के साथ ही मंदिर परिसर में स्थित पुराने महल एवं कोठियों का भी जीर्णाद्धार किया जा रहा है। ऐसे में मंदिर के बाजू में स्थित जुझार ङ्क्षसह और पालकी महल में चल रहे काम के बाद इनका पुराना शाही रूप निखर कर सामने आने लगा है। पर्यटन विभाग द्वारा इस परिसर से हटाई गई दीवारों के बाद अब यह महल अपने पूरे रूप में सामने आ गए हैं।
राम राजा मंदिर प्रांगण में स्थित जुझार ङ्क्षसह महज, पालकी महल के साथ ही हरदौल बैठका, टकसाल, मछली द्वार, राम राजा धर्मशाला, सावन-भादों का जीर्णोद्धार एवं संरक्षण किया जा रहा है। पिछले एक साल से जुझार ङ्क्षसह महल में चल रहे काम के बाद अब इसका पुराना वैभवशाली रूप सामने आने लगा है। इस महल की सफाई होने के साथ ही यहां पर समय के साथ बीच में बनाई गई कुछ दीवारों एवं कमरों को यहां से हटा दिया गया है। ऐसे में सावन भादों के सामने से इसका पूरा स्वरूप दिखाई देने लगा है। यह स्वरूप यहां पर आने वाले पर्यटकों को खासा रास आ रहा है।
की जा रही बेसमेंट की जांच पर्यटन विभाग के उपयंत्री पीयूष वाजपेयी ने बताया कि जुझार ङ्क्षसह महल की पूरी मरम्मत में अभी दो माह का और समय लगेगा। उन्होंने बताया कि परिसर से हटाई गई दीवारों एवं कुछ कमरों के बाद यहां पर फाउंटेन मिला है और महल की सीढिय़ां नीचे तक जाती दिखाई दे रही है। ऐसे में सीढिय़ों के पास खुदाई कराकर पता किया जा रहा है कि इसके बेसमेंट में तो कोई स्मारक नहीं है। यदि यहां पर भी कुछ निकलता है तो काम में और देरी लग सकती है।
पालकी महल का काम भी होगा उन्होंने बताया कि जुझार ङ्क्षसह महल के साथ ही पालकी महल का काम पूरा होगा। इसके बाद सावन भादों का काम शुरू किया जाएगा और उसके साथ ही यहां पर पुराने गार्डन को संभारा जाएगा। यहां का काम पूरा होने के बाद ही टकसाल और मछली द्वार का काम शुरू किया जाएगा। उनका कहना था कि राम विवाह के पहले तक प्रयास किया जाएगा इस पूरे ग्राउंड को लेबल कर दिया जाए। साथ ही धर्मशाला के सामने के हिस्से को भी लेबल किया जाएगा, ताकि मंडप एवं बारात के दिन किसी प्रकार की परेशानी न हो।