टीकमगढ़

orchha: भगवान श्रीराम हैं यहां के राजा, दिलचस्प है यहां की कहानी

टीकमगढ़ जिले का राजा राम मंदिर दुनियाभर में अपने वैभव के लिए मशहूर है…।

टीकमगढ़May 24, 2022 / 02:23 pm

Manish Gite

राजा राम के ओरछा में विराजने की एक प्राचीन कथा आज भी प्रचलित है। दरअसल महाराजा मधुकरशाह ने अपनी पत्नी गणेशकुंवरी से वृंदावन साथ चलने के लिए कहा, मगर महारानी तो भगवान राम की भक्ति में लीन रहती, इसलिए उन्होंने जाने से मना कर दिया। ओरछा उत्तर भारत के टीकमगढ़ जिले का राजा राम मंदिर ओरछा दुनियाभर में अपने वैभव के लिए मशहूर है। राजा राम मंदिर की एक दिलचस्प कहानी आज भी कई लोगों की जुबां से सुनने को मिलती हैं।

 

विदेशी पर्यटक भी आते हैं ओरछा

ओरछा में रामराजा मंदिर भगवान राम और जानकी जी की मूल प्रतिमाओं के लिए उत्तर भारत में ओरछा का विशेष स्थान है। यही वजह है कि ओरछा में प्रतिवर्ष तकरीबन 5 लाख से ज्यादा धर्म जिज्ञासु स्वदेशी पर्यटक आते हैं। बीस हजार से ज्यादा विदेशी पर्यटक ओरछा के खूबसूरत महलों, विशाल किले, शीश महल, जहांगीर महल, रायप्रवीण महल, लक्ष्मी मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, बेतवा नदी के तट पर छतरियां और नदी किनारे के जंगल में घूमने वाले जानवरों समेत कई प्राचीन काल की भव्य इमारतें मौजूद हैं।

 

 

 

महाराजा ने दी थी महारानी को चुनौती

राजा राम के ओरछा में विराजने की प्राचीन कथा आज भी प्रचलित है। महाराजा मधुकरशाह ने अपनी पत्नी गणेशकुंवरी से वृंदावन साथ चलने के लिए कहा, मगर महारानी तो भगवान राम की भक्ति में लीन रहती, इसलिए उन्होंने जाने से मना कर दिया। महाराजा ने महारानी को तैश में आकर बोल दिया, इतनी रामभक्त हो तो राम को ओरछा ले आओ। इसके बाद रानी अयोध्या गई और वहां सरयू तट पर साधना शुरू कर दी और वहां संत तुलसीदास से आशीर्वाद पाकर रानी की तपस्या और कठोर हो गई। कई महीनों बाद भी राम जी के दर्शन नहीं हुए तो रानी नदी में कूद गईं, नदी में रामजी के दर्शन हुए, तब रानी ने राम जी को ओरछा चलने के लिए निवेदन किया। भगवान राम ने एक शर्त रखी कि ओरछा तो चलेंगे लेकिन तब जब वहां उनकी सत्ता और राजशाही होगी, इसके बाद ओरछा के महाराजा मधुकरशाह ने ओरछा में रामराज की स्थापना की।

आज भी पुलिस देती है सलामी

यहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है, दूर-दूर से राजा के रूप में भगवान राम का सम्मान देखने भक्त आते हैं। पुलिस के जवान सूर्योदय और सूर्यास्त पर बंदूकों से सलामी देते हैं। यहां भक्तों को पान का बना हुआ प्रसाद भी खिलाया जाता है।

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