टीकमगढ़. देव उठनी ग्यारस पर मंगलवार को कुंडेश्वर में श्रद्धालुओं के साथ कतकारियों का आना जाना सुबह से ही शुरू हो गया था। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं एवं कतकारियों ने जमडार नदी में डुबकी लगाई और भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की। उसके बाद मेले में जाकर खरीदारी की।
मंगलवार की सुबह से मप्र और उप्र की कतकारियों ने जमडार नदी के घाट पर स्नान के बाद पूजन किया। गन्ने का मंडप बनाकर तुलसी का विवाह कराया। मंगल गीतों का गायन करके बरगद पेड के पास पहुुंची। उसके बाद स्वयं भू भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंची। जलाभिषेक करके परिक्रमा लगाई। कतकारियों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की।
मंगलवार की सुबह से मप्र और उप्र की कतकारियों ने जमडार नदी के घाट पर स्नान के बाद पूजन किया। गन्ने का मंडप बनाकर तुलसी का विवाह कराया। मंगल गीतों का गायन करके बरगद पेड के पास पहुुंची। उसके बाद स्वयं भू भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंची। जलाभिषेक करके परिक्रमा लगाई। कतकारियों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की।
गौरतलब है कि कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई गई। इसे देवोत्थान एकादशी, देव उठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी के नामों से भी जानते है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु चार महीने की गहरी नींद के बाद जागते है। उनके उठने के साथ ही हिन्दू धर्म में शुभ मांगलिक कार्य आरंभ होते है। गन्नों से बने मंडप में तुलसी विवाह संपन्न कराया गया। जिसमें भगवान विष्णु के बिना ही मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, देवउठनी एकादशी को जागने के बाद देवी देवता भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की एक साथ पूजा करके देव दिवाली मनाते है।
जमडार घाट पर रही विशेष नजर
ट्रस्ट प्रबंधन ने इस बार मेला मैदान के चारों ओर सीसीटीवी कैमरों को लगवाया गया है। मंदिर प्रबंधन के गार्ड और पुलिस प्रशासन द्वारा विशेष नजर रखी गई। जमडार नदी के पुल पर पूजा अर्चना की गई और घाटों पर स्नान ध्यान किया गया। पार्किंग व्यवस्था के साथ दुकानों को लगवाया गया।
ट्रस्ट प्रबंधन ने इस बार मेला मैदान के चारों ओर सीसीटीवी कैमरों को लगवाया गया है। मंदिर प्रबंधन के गार्ड और पुलिस प्रशासन द्वारा विशेष नजर रखी गई। जमडार नदी के पुल पर पूजा अर्चना की गई और घाटों पर स्नान ध्यान किया गया। पार्किंग व्यवस्था के साथ दुकानों को लगवाया गया।